संयुक्त राष्ट्र संघ की बच्चों के उत्थान के लिए काम करने वाली एजेंसी यूनिसेफ यानी यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रैंस फंड का आकलन है कि अगर मौजूदा हालात ऐसे ही रहे तो इस साल 80 हजार बच्चों पर मौत का साया मंडरा रहा है. यूनिसेफ ने यह आकलन नाइजीरिया के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए लगाया है. उस के मुताबिक, नौर्थईस्ट नाइजीरिया में इस साल 5 लाख बच्चों को भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, बोको हराम की वजह से पैदा हुए मानवीय संकटके कारण 80 हजार बच्चों को अगर इलाज की सुविधा नहीं मिली तो उन की मौत हो सकती है. इस तरह, अकेले नाइजीरिया में ही हजारों बच्चों का भविष्य अधर में है. वहीं, दूसरी ओर सीरिया के अलेप्पो में राष्ट्रपति बशर अल असद की सेनाओं ने शहर के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लिया है. ऐेसे में अलेप्पो के पूर्वी हिस्से में विद्रोहियों के कब्जे वाले छोटे से इलाके में फंसे लोगों ने भावुक अंतिम संदेश भेजे हैं. सीरियाई सेना की तेज बमबारी के बीच इन लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की. अपने ट्वीट में कार्यकर्ता लीना ने लिखा कि पूरी दुनिया के लोगों, सोना मत. आप कुछ कर सकते हो. प्रदर्शन करो, यहां के नरसंहार को रोको.

अपने वीडियो संदेश में लीना ने कहा कि घेराबंदी में फंसे अलेप्पो में नरसंहार हो रहा है. यह मेरा अंतिम वीडियो हो सकता है. असद के खिलाफ विद्रोह करने वाले 50 हजार से अधिक लोगों पर नरसंहार का खतरा है. लोग बमबारी में मारे जा रहे हैं. अलेप्पो को बचाओ, इंसानियत को बचाओ. कई संदेशों में उम्मीद खत्म होती दिखती है. एक वीडियो में एक व्यक्ति कह रहा है कि हम बातचीत से थक गए हैं. कोई हमारी नहीं सुन रहा है. वह देखो, बैरल बम गिर रहा है. यह वीडियो बम गिरने की आवाज के साथ खत्म होता है. सुबह उठा एक व्यक्ति लिखता है, ‘क्या मैं अभी जिंदा हूं?’ भारत व पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 में हुए युद्घ में 16 दिसंबर को भारतीय सेना ने दुश्मन के 93 हजार सैनिकों को, आत्मसमर्पण कराने के बाद, बंदी बना लिया था. बंदी बनाए गए इन सैनिकों की, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के अडि़यल रवैए के कारण, ढाई वर्ष तक भारत को मजबूरी में मेहमाननवाजी करनी पड़ी. एक जिद्दी प्रधानमंत्री के कारण हजारों सैनिकों तथा उन के परिवारजनों को कष्ट झेलना पड़ा. भारत को भी उन की सुरक्षा तथा खानेपीने के लिए भारी खर्च करना पड़ा.

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