उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर बसा बाराबंकी जिला चर्चा में है. चर्चा की वजह एक नाबालिग लड़की का गर्भपात है. बलात्कार की शिकार 13 साल की इस लड़की की कहानी कानून, समाज और व्यवस्था सब की लाचारी को दिखाती है. कानूनी पेचीदगी में फंसी नाबालिग लड़की प्रसव के बाद जिस बच्चे को जन्म देगी उस के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं. उस का पालनपोषण कैसे होगा? बच्चा नाबालिग लड़की के पास कैसे रह सकता है क्योंकि समाज में कुंआरी मां की स्वीकृति नहीं है. अगर बच्चा अलग रहता है तो क्या यह जायज है? इन सब के बीच एक सवाल यह भी है कि क्या शर्मिंदगी और सैक्स संबंधों की अज्ञानता के चलते ऐसे हालात बनते हैं? एक घटना के सहारे ऐसे व्यावहारिक पक्षों को देखना जरूरी है, जिस से घटना से सबक ले कर कुछ ऐसा सबक लिया जा सकता है जिस से आगे सतर्क रहा जा सके.

13 साल की रीना (बदला हुआ नाम) बाराबंकी जिले की रहने वाली है. उस का परिवार बहुत गरीब है. 17 फरवरी, 2015 को वह भागवत कथा सुनने गांव के बाहर बने मंदिर में गई थी. वहां गांव के एक युवक ने उस से जबरन देह संबंध बनाए. बलात्कार का शिकार हुई रीना को उस ने डरायाधमकाया और हिदायत दी कि घरपरिवार में किसी को कुछ न बताए. रीना ने देखा था कि गांव में जब कभी ऐसी घटना सुनी जाती थी तो लोग लड़की को ही दोष देते थे. ऐसे में उस ने किसी को घटना की जानकारी नहीं दी. जुलाई माह की शुरुआत में रीना के पेट में दर्द होने लगा. तब उस ने घर वालों को पेट दर्द की जानकारी दी. घर वाले उसे सरकारी अस्पताल में ले कर गए तो वहां पता चला कि रीना को 21 सप्ताह और 2 दिन का गर्भ है. तब रीना ने घर वालों को अपने साथ फरवरी में हुए बलात्कार की जानकारी दी. रीना के घर वालों ने पुलिस में शिकायत की. पुलिस ने रीना से बलात्कार करने वाले युवक को जेल भेज दिया.

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