रिया ने आज दी जाने वाली अपनी स्पीच की अच्छी तरह तैयारी की थी, लेकिन स्टेज पर पहुंचते ही अपने सामने पब्लिक को देख उस की टांगें कांपने लगीं, घबराहट से उसे पसीना आने लगा और पलभर में ही उस के चेहरे के हावभाव बदल गए. कहां तो रिया पूरे भाषण की अच्छी तैयारी कर के आई थी और कहां अब उसे एक शब्द भी कहने के लिए नहीं सूझ रहा था कि उसे क्या कहना है. जैसेतैसे कुछ भी बोल कर वह स्टेज से उतर कर बाहर चली गई और मन ही मन भविष्य में उस ने कभी भी भाषण न देने की ठान ली.

उसे खोजतेखोजते आई उस की फ्रैंड स्नेहा ने जब उसे एक कोने में रोते हुए देखा तो उसे काफी दुख हुआ, लेकिन रिया को समझाते हुए वह बोली, ‘‘तुम बेकार में डर रही हो. तुम जैसे बहुत से लोग भीड़ को देख कर घबरा जाते हैं. लेकिन तुम्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. आज इस में सफल नहीं हुई तो क्या हुआ, अगर तुम पब्लिक स्पीकिंग की कला को सीख जाओगी तो भविष्य में जरूर सफल होगी.’’ रिया ने जैसेतैसे अपने को सहज करते हुए स्नेहा से पूछा, ‘‘क्या पब्लिक स्पीकिंग सचमुच में एक कला है?’’ स्नेहा ने जवाब दिया, ‘‘हां, पब्लिक स्पीकिंग वाकई एक कला है और जो इस कला के कलात्मक गुण सीख लेता है वह महफिल की शान बन जाता है.’’

स्नेहा की बात सुन कर रिया ने उन कलात्मक गुणों को जानना चाहा, क्योंकि वह अब खुद के भीतर के इस डर को बाहर निकाल कर एक अच्छा वक्ता बनना चाहती थी. अगर आप भी किसी के सामने कुछ बोलने में हिचकिचाते हैं, बहुत से लोगों के सामने बोलने में आप को डर लगता है, तो जानिए कुछ ऐसे टिप्स, जिन से आप इस डर से तो बाहर निकलेंगे ही साथ ही आप खुद को लोगों के सामने बेहतर ढंग से प्रैजेंट भी कर पाएंगे :

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