पिछले 10 सालों में गांवदेहातों में रहने वालों की जिंदगी में सब से बड़ा बदलाव पहले मोबाइल फोन, फिर स्मार्टफोन के रूप में सामने आया है. साल 2011 की जनगणना के सामाजिक और माली आंकडे़ इस बात के गवाह हैं. तमाम तरह की परेशानियों और गरीबी के बाद भी गांवदेहात में तेजी से मोबाइल फोन का इस्तेमाल बढ़ा है. गरीब प्रदेशों में गिने जाने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के गांवों में रहने वाले 88 फीसदी और 84 फीसदी घरों में आज मोबाइल फोन का इस्तेमाल होने लगा है. ये प्रदेश राष्ट्रीय औसत 68 फीसदी से कहीं आगे हैं. गांवों में इस्तेमाल होने वाले दूसरे संसाधनों से भी तुलना करें, तो मोबाइल फोन का इस्तेमाल सब से ज्यादा किया जा रहा है. कच्चे घरों और झोंपडि़यों में रहने वाले लोग भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने लगे हैं. एक ओर गांवों में बिजली न आने से वहां बिजली से चलने वाले उपकरणों का इस्तेमाल घट रहा है, तो दूसरी ओर बिजली से चार्ज होने वाले मोबाइल फोन पर बिजली न होने का कोई ज्यादा असर नहीं हो रहा है.

आज के समय में मोबाइल फोन केवल बात करने तक सीमित नहीं रह गया है. स्मार्टफोन आने के बाद मोबाइल फोन मनोरंजन का सब से बड़ा साधन बन गया है. स्मार्टफोन में मनपसंद गानों के वीडियो देखे जा सकते हैं. इस के जरीए फेसबुक और ह्वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया के साधनों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. आज 2 हजार रुपए तक की कीमत से स्मार्टफोन मिलना शुरू हो जाता है. गांव के लोगों को स्मार्टफोन में सब से ज्यादा 2 चीजें पसंद आती हैं, वीडियो पर गाने देखना और सुनना. वे चाहते हैं कि फोन का म्यूजिक सिस्टम तेज हो, जिस से आवाज को दूर तक सुना जा सके. वे अब अपनी जिंदगी के हसीन पलों को कैमरे में कैद करना चाहते हैं, इसलिए कैमरा वाला फोन पसंद करते हैं.

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