नेहा पहली बार लखनऊ के भूतनाथ मंदिर गई थी. उस की एक रिश्तेदार भी साथ थी. जब वह मंदिर से वापस आई, तो देखा कि उस की नई चप्पलें गायब थीं. नेहा भी जैसे को तैसा के जवाब में वहां रखी किसी और की चप्पलें पहन कर घर चली आई.

घर आ कर नेहा ने यह घटना अपने परिवार वालों को बताई, तो उन्होंने उस से कहा कि जब तुम भी वही गलती कर आई, तो तुम में और दूसरे में क्या फर्क रह गया?यह सुन कर नेहा को बहुत बुरा लगा. वह वापस मंदिर गई और वहां से लाई चप्पलें वापस रख दीं, पर उसे अपनी चप्पलें नहीं मिलीं.  दीपाली वाराणसी के मशहूर काशी विश्वनाथ मंदिर गई थी. उस के साथ 4 साल की बेटी और कुछ रिश्तेदार भी थे. उस नेएक दुकान से प्रसाद लिया और वहीं दुकान के पास ही अपनी चप्पलें उतार दीं. दीपाली का एक रिश्तेदार वहीं रुक गया.

जब दीपाली अपने परिवार के साथ वापस आई, तो उस की बेटी की नई चप्पलें गायब थीं. न तो दीपाली के रिश्तेदार को और न ही दुकानदार को चप्पलें चोरी होने की भनक लग सकी.

दीपाली की बेटी का रोरो कर बुरा हाल था. जब तक उसे नई चप्पलें नहीं दिलाई गईं, तब तक वह चुप नहीं हुई. सुनीता लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर गई. मंदिर में जाने के पहले उस ने एक जगह पर चप्पलें उतार कर रख दीं. चप्पलें चोरी न हों, इस के लिए सुनीता ने पूरी सावधानी बरती थी. उस ने सब से किनारे अपनी चप्पलें रखी थीं. जब सुनीता लौट कर आई, तो देखा  कि एक औरत उस के जैसी चप्पलें पहन कर जा रही थी. उस ने सोचा कि एकजैसी कई चप्पलें होती हैं.

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