बहुत कम समय में पैसों को मोटे ब्याज के साथ कई गुना करने का सब्जबाग दिखा कर गरीब जनता को ठगने वाली चिटफंड कंपनियां निवेशकों से छोटीछोटी रकम एकत्र कर करोड़ोंअरबों रुपए डकार लेती हैं. गरीब जनता की परेशानियों से बेखबर सोती सरकारें और ऊंघता प्रशासन भी चिटफंड घोटाला में उतने ही जिम्मेदार हैं जितने कि घोटाला करने वाले. पढि़ए साधना शाह का विश्लेषणपरक लेख.

चिटफंड कारोबार में घालमेल के हालिया परदाफाश होने से पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन, धरना, चक्का जाम, तोड़फोड़ का सिलसिला चला. इस बीच सबकुछ गंवा कर 3 लोगों ने आत्महत्या कर ली तो कई ने ऐसी कोशिश की. महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त लाखों लोगों ने अपना सबकुछ बेच कर 20 से 100 प्रतिशत तक लाभ कमाने के लालच में चिटफंड में निवेश किया और अब सब गंवा बैठे. धंधा बदलने के साथ चिटफंड कंपनियों के मालिकों ने अपनी राजनीतिक आस्था भी बदल ली थी और तृणमूल की छत्रछाया में आ गए थे.

कई चिटफंड कंपनियों ने तो अपना अखबार निकाल कर तृणमूल कांगे्रस का समर्थन भी शुरू कर दिया था. आरोप है कि पार्टी फंड में भी ये कंपनियां पैसे उड़ेलती रही हैं. शायद यही कारण है कि तृणमूल के मंत्री, सांसद ही नहीं, खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी समयसमय पर इन चिटफंड कंपनियों की वकालत करती नजर आईं और अब जब निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले ने तूल पकड़ लिया तो तृणमूल कांगे्रस अपना पल्ला ?ाड़ रही है.

चिटफंड का कारोबार चलाने वाली एक कंपनी के विज्ञापन ‘सुमंगल सब का मंगल’ ने लोगों को खूब लुभाया. विज्ञापनदाता है सुमंगल इंडस्ट्रीज लिमिटेड. पिछले दिनों यह विज्ञापन तमाम टीवी चैनलों और दैनिक अखबारों में देखने को मिल रहा था. आलू पर निवेश के लिए कंपनी ने 2 स्कीमों की घोषणा की थी. पहली, 1 लाख रुपए निवेश पर 15 महीने में कंपनी 1 लाख 20 हजार रुपए से ले कर 2 लाख रुपए तक का रिटर्न देगी. दूसरी, 1 लाख रुपए निवेश करने पर कंपनी इतने ही समय के भीतर 1 लाख 40 हजार रुपए रिटर्न देगी.

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