दुलहन के रूप में सजीसंवरी लड़की को गोद में उठाए एक युवक पटना कलैक्ट्रेट में आया तो सभी की आंखें उस ओर उठ गईं. युवक लड़की को उठाए सधे कदमों से धीरेधीरे जिलाधीश के दफ्तर की ओर बढ़ रहा था. कुछ लोग हैरत से, तो कुछ हंसीमजाक के लहजे में खुसुरफुसुर कर रहे थे. उन्हें नजदीक से देखने पर लोगों को कुछकुछ असलियत का पता लगने लगा. दुलहन बनी लड़की के दोनों पांव खराब थे. वह चल नहीं सकती थी, इसलिए युवक उसे गोद में उठा कर चल रहा था. लड़की के चेहरे पर थोड़ी हया का भाव था पर लड़का सिर उठाए गर्व का भाव लिए कदम दर कदम बढ़ता रहा.

लोगों को यह पता नहीं चल पा रहा था कि आखिर माजरा क्या है? किसी ने कहा कि अगर दुलहन के पैर खराब हैं तो उसे गोद में उठा कर कलैक्ट्रेट आने की क्या जरूरत है? दूसरे ने कहा कि उसे व्हीलचेयर पर बिठा कर भी लाया जा सकता था? युवक सारी बातों को अनसुना कर अपनी दुलहन को उठाए जिलाधीश के दफ्तर के अंदर चला जाता है. कुछ लोग कुतूहल के साथ उस के पीछेपीछे दफ्तर के भीतर चले जाते हैं.

जिलाधीश संजय अग्रवाल अपने कमरे से बाहर निकल कर उन का स्वागत करते हैं. उन्हें कुरसी पर बिठाने के बाद जिलाधीश ने खुद ही युवक और युवती की कहानी लोगों को बताई तो सारे भौचक खड़े रह गए. कुछ की आंखों में तो आंसू की बूंदें छलछला पड़ीं. जिलाधीश ने युवक नीरज को सम्मानित किया क्योंकि उस ने विकलांग लड़की रूबी से विवाह कर समाज के सामने मिसाल पेश की थी. विकलांग लड़की से विवाह करने पर नीरज कुमार को पटना के जिलाधीश संजय अग्रवाल ने प्रेरणा सम्मान दे कर हौसला बढ़ाया. 50 हजार रुपए का चैक नीरज और रूबी के नाम से दिया गया. विकलांग लड़की का नाम रूबी है और उस से विवाह करने वाले लड़के का नाम नीरज कुमार है. नीरज और रूबी के विवाह में नीरज की मां की अहम भूमिका है. ऐसा देखनेसुनने को नहीं मिलता कि कोई महिला अपने तंदुरुस्त बेटे की शादी किसी विकलांग लड़की से कराए. पटना की एक महिला ने अपने पढ़ेलिखे और नौकरी कर रहे बेटे का विवाह एक विकलांग लड़की से कराने की पहल की. इतना ही नहीं, उस का बेटा भी राजीखुशी इस विवाह के लिए तैयार हो गया.

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