देह धंधा शौक नहीं मजबूरी होता है.एक बार इस धंधा में आने वाली औरत के लिये इसके अलावा कोई रास्ता नहीं रहता है. ग्राहक को खुश रखना ही उसकी पहली जरूरत बन जाती है. जिन औरतों के बच्चे 2 से 3 माह के भी नहीं हुये वह भी देह धंधा में ग्राहक को खुश रखना पहली जरूरत मानती है. कई औरतें तो कहती है कि गर्भावस्था के अंतिम दिनों में भी वह ग्राहक को खुश रखना चाहती है. ग्राहक खुश होगा तो वह अपना और बच्चे दोनो का पेट पाल सकेगी. यही सोंच कर वह एक तरफ बच्चा और दूसरी तरफ ग्राहक को रखकर देहध्ंध करती है. इलाहाबाद के मीरगंज रेड लाइट ऐरिया में जब पुलिस ने 200 कोठों पर छापा मारा तो 75 से अध्कि लडकियों और 45 के करीब कोठा मालकिनों और 10 ग्राहको को पकडा. पकडी गई लडकियों में आधी ऐसी थी जिनके पास 3 माह से लेकर 3 साल के तक छोटे बच्चे थे. इनमें कई लडकियां भी थी.

इस छापेमारी को मीरगंज की सबसे बडी छापेमारी के तौर पर देखा जा रहा है. इसका अंदाजा पुलिस फोर्स से लगाया जा सकता है. पुलिस ने एक एसपी की अगुवाई में 31 एसओ, 15 महिला एसओ, 300 सिपाही और 100 महिला सिपाहियों की पूरी टीम तैयार की थी. मीरगंज में देह धंधा पुराने समय से चला आ रहा है. ऐसी छापेमारी यहां होती ही रहती है. पुलिस ने बचने के लिये कोठा मालिक लकडी की जगह लोहे के दरवाजे लगवाते है. जिनको तोडने में पुलिस को समय लगता है तबतक वह भागने में सफल हो जाती है. कई कोठे आपस में जुडे होते है. जिससे भागने  में आसानी होती है. पुलिस की छापेमारी में देह धंधा करने वाली औरतो को ही नहीं उनके मासूम बच्चों को भी जेल भेज दिया गया.

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