इन दिनों छह महीने की मातृत्व कालीन छुट्टी की बड़ी चर्चा है. लेकिन कुछ ऐसी मांएं भी हैं जिनका खुद अपना बच्चा नहीं है, लेकिन किसी नवजात बच्चे को गोद लिया है. ऐसी मांएं भी मातृत्वकालीन छुट्टी की मांग लंबे समय से कर रही हैं. हाल ही में सरकार और निजी कंपनियों में मातृत्वकालीन अवकाश की अवधि को 12 हफ्ते से बढ़ा कर 26 हफ्ते कर दिया गया है. 28 हफ्ते किए जाने पर भी विचार हो रहा है. इससे पहले कामकाजी सरोगेट मांओं को भी मातृत्वकालीन अवकाश दिए जाने का प्रावधान किया गया. लेकिन कुछ राज्यों को छोड़ कर गोद लेनेवाली मांओं को मातृत्वकालीन अवकाश दिए जाने का चलन नहीं है. इसीलिए समान मातृत्व कालीन अवकाश की मांग जोर पकड़ रही है.

मातृत्व लाभ कानून 1961 में संशोधन के बाद सरकार ने इस मामले में एक निर्देशिका भी जारी की है कि जिसमें दत्तक अवकाश दिए जाने की बात कही गयी है. संशोधन के बाद सरोगेट मां यानि किराये पर कोख देनेवाली मांओं के लिए भी मातृत्वकालीन अवकाश का प्रावधान किया गया था. इसी साल जनवरी में केंद्र सरकार की ओर से किसी बच्चे को गोद लेनेवाली महिलाओं को भी मातृत्व कालीन अवकाश दिए जाने पर विचार की बात कही गयी थी. गौरतलब है कि गोद लेनेवाली मांओं के लिए मातृत्वकालीन अवकाश का प्रावधान कुछ राज्यों को छोड़ कर व्यापक तौर पर पूरे देश में लागू नहीं है. जहां लागू है वहां यह सिर्फ सरकारी महिला कर्मचारियों को ही यह सुविधा मिलती है. अगर निजी कंपनियों की बात करें तो यहां गोद लेनेवाली महिलाओं के लिए ऐसा कोई प्रावधान है ही नहीं.

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