आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ बौक्स औफिस पर अपना कमाल दिखा रही है. आमिर की सब से बड़ी खासियत यह है कि वे जो भी फिल्म बनाते हैं उस में उन की मेहनत व परफैक्शन दिखाई देती है. वे साल में चार पांच फिल्में बनाने के बजाय एक फिल्म बनाना पसंद करते हैं. सीन चाहे एक मिनट का हो या 10 मिनट का, आमिर उस में वास्तविकता दिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ते, छोटीछोटी बारिकियों पर ध्यान दे कर काम करना पसंद करते हैं.

आज के युवा वर्ग को आमिर खान से सीखने की जरूरत है, क्योंकि आज के युवाओं में धैर्य की कमी है, उन्हें हर काम में जल्दबाजी होती है. खाना खाना हो तो जल्दी, कहीं जाना हो तो जल्दी, सडक़ पर गाड़ी चलाना हो तो जल्दी, गर्लफ्रैंड बौयफ्रैंड बनाना हो तो जल्दी, ब्रेकअप करना हो तो जल्दी. वे समय दे कर काम खत्म करने के बजाय बस फटाफट करना चाहते हैं. उन्हें लगता है जिस तरह से एक क्लिक में गुगल पर हर सवाल का जवाब मिल जाता है, उसी तरह से लाइफ में भी हर काम फटाफट करो और इंजौय करो, सोचना समझना तो पुरानी पीढ़ी का काम है. हम तो यंग जनरेशन हैं. अगर किसी बात के लिए पेरैंट्स कुछ कहते भी हैं तो उन का जवाब होता है ‘‘किस के पास इतना टाइम है कि बैठ कर सोचे, अगर आगे बढऩा है तो तेज भागना होगा.’’

लेकि न जहां हड़बड़ी होती है वहां गड़बड़ी की संभावना ज्यादा होती है. जल्दबाजी में युवा भले ही काम तुरंत खत्म कर लेते हैं. लेकिन वे इस बात को नहीं समझ पाते कि जल्दबाजी में किए गए काम में कुछ न कुछ कमी अवश्य रहती है.

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