मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया रोड पर दर्जनभर औरतें हाथ में लाठी लिए बस स्टैंड के पास बीच सड़क पर खड़ी थीं. ये सब काले रंग की ड्रैस पहने होने के चलते दूर से ही पहचानी जा रही थीं. राह चलते लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि माजरा क्या है. लेकिन इन औरतों के इरादे किसी को नेक नहीं लग रहे थे. अचानक इन औरतों ने उन दोपहिया वाहन सवारों को रोक कर उन के चेहरे पर कालिख पोतनी शुरू कर दी जिन्होंने हैलमेट नहीं पहन रखा था. औरतों के तेवर और हाथ में लाठी देख शुरू में लोग कुछ बोलने या कहने की हिम्मत इस डर से नहीं जुटा पाए कि कहीं ये मारने न लगें. लेकिन थोड़ी देर बाद हिम्मत करते कुछ लोगों ने इस ज्यादती और गुंडागर्दी के खिलाफ पहल की और किसी ने इस बीच नजदीकी हनुमानगंज थाने में फोन के जरिए खबर भी कर दी.
माजरा सुन पुलिस वाले भागेभागे आए और बीचबचाव में जुट गए. इन औरतों से जब पुलिस वालों ने इस बेहूदी हरकत की वजह पूछी तो उन्होंने फख्र से बताया कि वे तो कानून की मदद कर रही थीं. भोपाल में हैलमेट चैकिंग जोरों पर है. इस के बाद भी लोग हैलमेट पहन कर नहीं चल रहे हैं. इसलिए हम उन्हें सबक सिखा रहे थे. इधर पुलिस को आया देख डरेसहमे पीडि़त और बेइज्जत हुए लोगों ने अपना दुखड़ा रोना शुरू कर दिया कि यह कौन सा तरीका है. हैलमेट न पहनने की सजा देने के लिए ट्रैफिक पुलिस कार्यवाही करे, चालान काटे, हमें कोई एतराज नहीं. लेकिन बीच सड़क पर हमें जबरन रोक कर यह काम इस ड्रैस वाली औरतें करेंगी तो यह कौन सा व कैसा न्याय है?