पथ की बाधाओं से राही

हार न जाना

तुम बढ़ते जाना.

उपरोक्त पंक्तियां पूर्णतया सत्य हैं. किसी नए काम को शुरू करने से पहले उस के लिए योजना बनाना अत्यंत आवश्यक है. योजना बनाने के साथ ही हर कार्य में अनेक दुविधाएं पैदा होने की पूरी आशंका रहती है क्योंकि हम जो खयालों में सोचते हैं वह असलियत के धरातल पर खरा उतरे ऐसा जरूरी तो नहीं. लेकिन क्या पहले से ही समस्या से डर कर हम सपने देखना छोड़ दें और नए कार्य को शुरू ही न करें? बिलकुल नहीं.

इस बारे में मुंबई के व्यवसायी राकेश शर्मा कहते  हैं, ‘‘मेरा जन्म मुंबई में हुआ. पिताजी एक छोटी सी प्राइवेट मिल में काम करते थे और हम मुंबई की एक चाल में रहते थे. जब मैं  9-10 वर्ष का था, मिल में कर्मचारियों की छंटनी हुई. मेरे पिताजी को भी निकाल दिया गया. घर में खाने की समस्या आ गई थी. मां ने सिलाई का काम शुरू किया तो मैं उन के द्वारा सिले ब्लाउजों में हुक लगाता और तुरपाई करता था. लेकिन उस में पैसे बहुत कम मिलते थे. हम 4 भाईबहन हैं. घर का खर्च चलना मुश्किल था. मैं ने हिम्मत कर मुंबई में ही रद्दी किताबों में से काम की किताबें छांट कर फुटपाथ पर बेचनी शुरू कीं. मेरे पिताजी को यह काम बहुत छोटा लगा. लेकिन पेट भरने के लिए मैं किसी भी काम को छोटा नहीं समझता, बस ईमानदारी का साथ न छूटे. मां सुबह से घर में सिलाई का काम करती और शाम को 4 बजे जब मैं दुकान लगाता तो मुझे सहयोग करती.

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