उसने अपने सपनों को तो बचपन में ही पंख लगा लिए थे और जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बाद अपने हौसलों और लगन से सपनों को हकीकत की जमीन पर उतार भी लिया. यह बताते हुए देश की पहली महिला फाइटर पायलट भावना कंठ के पिता तेजनारायण कंठ की आंखों में खुशी के आंसू छलछला उठते  हैं. वह फख्र के साथ कहते हैं कि उनकी बेटी की यह आदत है कि वह अपने लक्ष्य को पहले तय कर लेती है और उसके बाद उसे हासिल करने के लिए पूरी लगन और मेहनत के साथ जुट जाती है. हर युवा को ऐसा ही करना चाहिए.

बिहार के दरभंगा जिला के बाउर गांव की रहने वाली भावना जब 8वीं क्लास में पढ़ती थी, तो उसी समय उसने यह तय कर लिया था कि वह पायलट बनेगी. भावना का जन्म बिहार के बरौनी रिफाइनरी टाउनशिप में हुआ था और उन्होंने बरौनी रिफाइनरी डीएवी स्कूल से इंटर की पढ़ाई की. उसके बाद उसने कोटा के विद्या मंदिर स्कूल में दाखिला लिया और इंजीनियरिंग की तैयारी शुरू की. बंगलुरू के बीएमएस कौलेज औफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रीकल से बीटेक की डिग्री ली है. साल 2014 में उसे भारतीय वायुसेना में शार्ट सर्विस कमीशन मिला और उसके बाद उसे फाइटर पायलट की ट्रेनिंग के लिए चुना गया. हैदराबाद के एयरक्राफ्रट एकेडमी में उन्होंने फाइटर प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग में जम कर पसीना बहाया और अपने बचपन के सपनों को अपने हौसलों से सच कर डाला. उन्होंने 150 घंटे तक फाइटर प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग ली है.

भावना के पिता कहते हैं कि भावना को बैंडमिंटन और बौलीबौल खेल का शौक रहा है. साल 2015 में जब वायुसेना में महिला फाइटर पायलट को बहाल करने का रास्ता साफ हुआ, तो भावना के सपनों को पूरा होने के दरवाजे भी खुल गए. भावना के पिता कहते हैं कि बेटी की वजह से उनका नाम भी इतिहास में दर्ज हो गया है. वह बताते हैं कि भावना जब स्कूल में पढ़ती थी तो बार-बार यह सवाल पूछती थी कि लड़कियां एनडीए में क्यों नहीं जाती हैं? पायलट बनने के लिए क्या-क्या करना होता है? पायलट बनने के लिए क्या तैयारियां करनी होती है? इसकी ट्रेनिंग कहां होती है? ऐसे दर्जनों सवालों को जबाव भावना के पिता को देना पड़ता था. बेटी की लगन को देखकर उन्होंने उसे पायलट बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.

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