उत्तर प्रदेश में फिल्मों की शूटिंग को लेकर प्रदेश सरकार बडे बडे दावे कर रही है. म्यूजिक एलबम ‘सांवरे’ की शूटिंग के समय राजधानी लखनऊ में ही इन दावों की पोल खुलती दिखी. यह एलबम बडे कलाकारों कुणाल खेमू, वर्तिका सिंह, पाकिस्तानी सिंगर राहत फतेह अली खान और अनुपमा राग जैसे बड़े कलाकारों को लेकर बन रहा है. इसकी शूंटिंग लखनऊ के इमामबाडा, नरही, अम्बेडकर पार्क जैसी जगहो पर होनी थी. शूटिंग की शुरूआत लखनऊ के मशहूर इमामबाडा के नौबतखाना के पास होनी थी. म्यूजिक एलबम के प्रोडयूसर निखिल द्विवेदी ने शूटिंग की अनुमति के लिये जिला प्रशासन को पत्र लिखा. अनुमति मिलने में देर लग रही थी.

शूटिंग में देर न हो बाहर से आये कलाकारों को परेशानी न हो इसलिये शूटिंग शुरू कर दी गई. इस बात का पता चलते ही कुछ कट्टरवादी तत्व शूटिंग बंद करने और वहां तोडफोड करने पहुंच गये. उन लोगों ने कलाकारों के साथ मारपीट की, शूटिंग बंद कराई और शूटिंग के लिये आई बस पर तोडफोड की, शूटिंग के लिये लगे स्टेज को तहसनहस कर दिया. इसके बाद पहुंची लखनऊ पुलिस ने ममाले को रफादफा कर दिया.

अगले दिन शूटिंग अम्बेडकर पार्क और बाकी जगहो पर शुरू हो पाई. जिला और पुलिस प्रशासन ऐसे कार्यक्रमों की अनुमित देने में अनावश्यक देर लगाता है. इस तरह का उपद्रव करने वालों के खिलाफ कोई कडी सजा नही दी जाती जिससे कटटरवादी तत्वों के हौसले बढते है.ऐसी घटनाओं के चलते उत्तर प्रदेश में सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी अच्छी फिल्मों की शूटिंग शुरू नहीं हो पायेगी. अगर शूटिंग की अनुमित नहीं थी ओर शूटिंग हो रही थी तो उसको रोकने के लिये पुलिस में शिकायत की जा सकती थी. कानून को अपने हाथ मे लेने का अधिकार किसी भी सभ्य समाज में नहीं होती. पूरी दुनिया में लखनवी अदब और तहजीब की चर्चा होती है. लोग उसकी तारीफ करते है. दूसरी तरफ लखनऊ में ही इस तहजीब और अदब की बखिया उधेडी जा रही है. इमामबाडा लखनऊ की बहुत बडी पहचान है. फिल्मों में इमामबाडा को दिखाने को प्रयास शूटिंग में किया जाता है. कट्टरवादी लोग कई बार इस तरह के काम कर चुके है जिससे लोग अब इमामबाडा आने से बचने लगे है. अगर यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा तो लोग इमामबाडा भूल जायेगे.

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