आप जब विवाह के बंधन में बंधते हैं, तो जीवन में ढेर सारे बदलाव आते हैं. जिंदगी में प्यार के साथसाथ जिम्मेदारियों का भी समावेश होता है. जब आप अपने जीवनसाथी के साथसाथ उस के परिवार के सदस्यों को भी दिल से स्वीकारते हैं, तो आप के जीवन से कभी न जाने वाली खुशियों का आगमन होता है पतिपत्नी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है, जिस में प्यारदुलार के साथसाथ एकदूसरे की अच्छीबुरी बातों को स्वीकार करने की भावना भी होती है. आप चाहे इस बात को मानें या न मानें कि आप के संबंधों पर आप के मातापिता का संबंध एकदूसरे के साथ कैसा था, इस का प्रभाव पड़ता है. सच तो यह है कि आप के व्यक्तित्व पर कहीं न कहीं आप के पेरैंट्स की छाप होती है. जीवन के प्रति आप के नजरिए में काफी हद तक आप के पेरैंट्स का असर दिखता है.कई बार न चाहते हुए भी आप अपने पेरैंट्स की गलत आदतों को सीख लेते हैं, जो जानेअनजाने आप के संबंधों को प्रभावित करती हैं.

अगर आप में अपने पेरैंट्स की कोई ऐसी आदत है, जिस की वजह से जीवनसाथी के साथ आप के संबंधों में टकराहट आ रही है, तो उसे छोड़ने का प्रयास करें.

कभी प्यार कभी तकरार

रिलेशनशिप काउंसलर डा. निशा खन्ना के अनुसार, पतिपत्नी का रिश्ता बेहद संवेदनशील होता है, जिस में प्यारदुलार के साथसाथ तकरार भी होती है. लेकिन जब यह तकरार जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है, तो दोनों के संबंधों में दरार आते देर नहीं लगती. सच तो यह है कि पतिपत्नी अपने संबंध को बिलकुल ही वैसा बना देना चाहते हैं, जैसा संबंध उन के पेरैंट्स का एकदूसरे से था. इस की वजह से दोनों के संबंधों में दूरी आने लगती है. जब पतिपत्नी एकदूसरे पर अपनी बातें थोपना शुरू करते हैं, तो उन के संबंधों से प्रेम समाप्त होने लगता है और वे एकदूसरे से छोटीछोटी बातों पर भी लड़ना शुरू कर देते हैं. आमतौर पर पत्नी को शिकायत होती है कि पति उसे समय नहीं देता है और पति को यह शिकायत रहती है कि पत्नी औफिस से आते ही उस के सामने शिकायतों की पिटारा खोल कर बैठ जाती है.

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