उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले का डौंडियाखेड़ा गांव देश के नक्शे में कहां है, कल तक कोई वाकिफ नहीं था. लेकिन पिछले दिनों एक साधु के सोने के खजाने से जुड़े तथाकथित स्वप्न ने इस गांव को रातोंरात मीडिया, नेता और नौकरशाहों के साथसाथ आम लोगों के पर्यटन स्थल में तबदील कर दिया है. शोभन सरकार के सपने के सोने पर हो रही सियासत, नौकरशाही की सक्रियता व खबरिया चैनलों का बेवकूफाना तमाशा क्या रंग लाएगा और क्या है खजाने का पूरा सच, पढि़ए शैलेंद्र सिंह की रिपोर्ट में.

खजाने की खोज की अफवाहें पूरी दुनिया में उड़ती रहती हैं. कई बार पुरातत्त्व विभाग भी ऐसे झांसे में आ जाता है. उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा गांव में ऐसे ही एक खजाने की खोज शुरू हुई. इसे खबरिया चैनलों ने जिस तरह से सनसनी बना कर पेश किया उस से उन की पत्रकारिता पर सवाल खडे़ हो गए हैं. जैसेजैसे खुदाई बढ़ती गई परत दर परत राजनीति की ईंटें भी उखड़ने लगीं. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में होड़ लग गई कि अफवाह का सब से बड़ा पैरोकार कौन है?

पूरे मामले में जनता के बीच फैला अंधविश्वास भी खुल कर सामने आ गया. 1 हजार टन सोना मिलने की आहट से ही लोग अपना कामधाम छोड़ कर उधर दौड़ पडे़. इस से डौंडियाखेड़ा में रहने वाले उन लोगों का कुछ लाभ जरूर हो गया जो खानेपीने की दुकानें चलाते थे. 20 रुपए बिकने वाले दूध की कीमत 45 रुपए और चाय की कीमत 8 रुपए हो गई. 7 फुट गहरी खुदाई तक पुरानी लखौरी ईंटों की दीवार मिलने से पुरातत्त्व विभाग खुश है. उस का कहना है कि पुरानी धरोहर किसी खजाने से कम नहीं होती है.

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