गांव में रहने वाली औरतों को लोग असहाय समझते है. लखनउ के मीरखनगर गांव की रहने वाली बिटाना ऐसे लोगों के लिये उदाहरण के समान है. बिटाना ने साल 2014-2015 में कुल 56,567 लीटर दूध का उत्पादन किया. औसतन 155 लीटर दूध प्रतिदिन बिटाना ने पराग को दिया. वैसे उसके यहां कुल 188 लीटर दूध का उत्पादन रोज होता है. बिटाना उन औरतों में है जो अपनी मेहनत से सफलता हासिल करना चाहती है. बिटाना कक्षा 5 तक ही पढी है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने बिटाना को गोकुल पुरस्कार से सम्मानित किया. लखनउ जिले में बिटाना को यह पुरस्कार लगातार 10 वीं बार मिला है. बिटाना देवी ने साल 1985 से यह काम शुरू किया था. उसके घर में उस समय आर्थिक तंगी थी. घर में केवल एक भैंस थी जो उसको शादी में मिली थी. बिटाना ने उसी से दूध बेचने का काम शुरू किया. कुछ ही दिनों में यह काम उसके पूरे घर वालों को पसंद आने लगा. बिटाना के पति हरिनाम सिंह रायबरेली जिले में शिक्षक बन गये तो उसे यह काम खुद से ही शुरू करना पडा.

बिटाना के पास 24 गाय और 10 भैंस है. इनकी देखभाल करने के साथ बिटाना खुद ही इनका दूध निकालती है. खुद ही सभी मवेशियों की देखभाल करने वाली बिटाना कहती है कि साल 2014-2015 में कुल 56,567 लीटर दूध पराग को सप्लाई किया. वह कहती है ‘इस काम में पति मेरा पूरा साथ देते है. उनकी ही प्रेरणा का फल है कि मुझे 10 वीं बार गोकुल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मेरा सपना है कि मै उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाली महिला बनूं'. बिटाना को पिछले साल भी प्रदेश में चैथा स्थान मिला था. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वालों में 18 महिलायें है. उत्तर प्रदेश के दुग्ध उत्पादन मंत्री  राममूर्ति वर्मा ने कहा कि दूध कारोबार को बढ़ावा देने के लिये सरकार गोकुल पुरस्कार राशि को बढ़ाने जा रही है. बिटाना ने महिलाओं को नई राह दिखाने का काम किया है.

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