कल तक जिन की बिहार के एजुकेशन सिस्टम में तूती बोलती थी, जिन के इशारे पर मैट्रिक और इंटर के इम्तिहान में गलत को सही और सही को गलत करार दे दिया जाता था, जिन के आगे हर स्कूल के प्रिंसिपल से ले कर चपरासी तक नतमस्तक रहते थे, आज वही दोनों चेहरे अपने मुंह छिपाने को मजबूर हैं. पुलिस ने जब दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया तो घोटालेबाज मियांबीवी की जोड़ी हर किसी से अपना चेहरा छिपाए चल रही थी.

बिहार के टौपर्स घोटाले के मास्टरमाइंड बंटी और बबली ने राज्य के स्टूडैंट्स के भविष्य के साथ घिनौना खेल तो खेला ही, पूरे एजुकेशन सिस्टम पर कालिख भी पोत डाली है. देश के दूसरे राज्यों में बिहार की डिगरी की पहले ही कोई खास कद्र नहीं थी, टौपर्स घोटाले ने तो बिहार के एजुकेशन सिस्टम को जीरो पर ला कर खड़ा कर दिया है.

टौपर्स घोटाले के किंगपिन लालकेश्वर प्रसाद और उस की बीवी ऊषा सिन्हा आखिर 13 दिनों की लुकाछिपी के बाद 20 जून को पुलिस के हत्थे चढ़ गए. टौपर्स घोटाले का मास्टरमाइंड बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड का पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद और उस की बीवी का रुपयों के बल पर जाहिलों को टौपर बनाने का खेल खत्म हो गया. 7 जून से फरार घोटालेबाज मियां बीवी को पुलिस ने 20 जून को बनारस की रवींद्रपुरी कालोनी के एक आश्रम के पास दबोच लिया. दोनों बनारस के शराब के बड़े कारोबारी प्रभात जायसवाल के घर में चोरों की तरह छिपे हुए थे. पुलिस की स्पैशल इन्वैस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी को गिरफ्तारी के 5 दिनों पहले ही दोनों के बनारस में होने की खबर मिली थी और उन का मोबाइल लोकेशन भी बनारस दिखा रहा था.

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