सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, जीवन में इन दोनों का खासा महत्त्व है. असफलता से अधिकतर लोग घबरा कर अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं. ऐसे में हमें बड़ों के संघर्ष से प्रेरणा मिलती है, जिस के सहारे हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ते हैं. महात्मा गांधी से ले कर अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, लाल बहादुर शास्त्री और राजेंद्र प्रसाद जैसे बहुत से ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिन के जीवन से प्रेरणा ली जा सकती है. ये लोग भी कई बार बचपन से ले कर पढ़ाई और बाकी जीवन में असफल हुए पर हार न मानी.

बड़े लोगों की आत्मकथा या उन के संघर्ष के बारे में जान कर पता चलता है कि सफलता मेहनत के बाद ही मिलती है. इन बड़े लोगों की कहानियों से हमें प्रेरणा मिलती है. उन की राह पर चल कर हम भी सफल हो सकते हैं. युवावस्था में कैरियर से ले कर निजी संबंधों तक कई बार असफलता हाथ लगती है. काफी मेहनत से पढ़ाई करने के बाद भी कंपीटिशन में सफलता नहीं मिलती. खेल, ऐक्टिंग, डांस और सिंगिंग जैसे कैरियर में भी असफलता ज्यादा और सफलता कम मिलती है.  ऐसे में जब हम बड़े लोगों के संघर्ष को देखते हैं तो मन मजबूत हो जाता है. हम नए सिरे से मेहनत करने लग जाते हैं. इस के बाद हम दोहरी मेहनत से सफलता के लिए जुट जाते हैं. सही दिशा में किए गए प्रयास से सफलता मिलनी तय है.

असफलता में छिपी सफलता

असफलता में ही सफलता छिपी होती है. जरूरत इस बात की है कि हम यह अवश्य देखें कि किन कारणों से असफलता मिली है. अगर हम सही माने में विचार करेंगे तो साफ पता चल जाता है कि हम क्यों असफल हुए? कई बार अपनी सफलता के लिए हम खुद को जिम्मेदार न मान कर दूसरे पर दोषारोपण करते हैं, जो सही नहीं है. जब तक हम खुद का सही तरह से आत्मविवेचन नहीं करेंगे तब तक हमें असफलता के कारण का पता ही नहीं चलेगा और उसे दूर कर हम सफलता की राह पर आगे नहीं बढ़ सकते. ऐसे में जरूरी है कि हम खुद अपना आत्मविवेचन सही तरह से करें, इसी से सफलता का रास्ता निकलता है. शिमला में पहचान विमन वैलफेयर सोसाइटी चलाने वाली मनोविज्ञानी बिंदू जोशी कहती हैं, ‘‘जिंदगी की तपिश को मुसकरा कर झेलिए, ‘धूप कितनी भी तेज हो समंदर सूखा नहीं करते.’ असफलता से घबराने की जरूरत नहीं है. बड़े लोग हमारे प्रेरणास्रोत हैं, उन के जीवन के संघर्ष से पता चलता है कि सफल होने से पहले वे कितने प्रयास करते हैं.

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