उम्र की तमाम अड़चनों और पाबंदियों को परे रख डा. शांति राय गरीबों की पढ़ाईलिखाई से ले कर सेहत तक का खयाल रख न सिर्फ डाक्टरी पेशे को बखूबी निभा रही हैं बल्कि समाज के उस तबके को एक संदेश भी दे रही हैं जो पूरी तरह से उदासीन है. उन के जीवन के कुछ पहलुओं के बारे में आप भी जानिए.

पिछले 51 सालों से मरीजों की सेवा में जुटी पटना की मशहूर गाइनोकोलौजिस्ट डा. शांति राय की उम्र भले ही 72 साल की है पर उन में युवाओं से ज्यादा जोश है, उत्साह है. सुबह 9 बजे से ले कर काम करने का सिलसिला रात के 11-12 बजे तक चलता रहता है. बीच में समय निकाल कर वे अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताती हैं.

गरीब बच्चों की पढ़ाईलिखाई के साथ गरीब औरतों की सेहत के लिए मैडिकल कौन्फ्रैंसों में भी हिस्सा लेती हैं. इतनी उम्र में और काम की व्यस्तता के बावजूद वे सामाजिक सेवा से जुड़े हर काम के लिए समय निकाल ही लेती हैं. वे बताती हैं कि उन्होंने कभी डाक्टर बनने के बारे में सोचा नहीं था. इस के पीछे काफी दिलचस्प कहानी है.

वे बताती हैं कि उन के छोटे चाचा उन से 1 क्लास आगे थे और उन की पढ़ी हुई पुरानी किताब ही उन्हें पढ़ने के लिए मिलती थीं. वे आर्ट्स लेना चाहती थीं पर उन के चाचा ने चूंकि साइंस पढ़ी थी और उन की सारी किताबें साइंस की थीं, इसलिए उन्हें भी मजबूरी में साइंस पढ़नी पड़ी. जब इंटर पास किया तो उन के दादा ने कहा कि मैडिकल में ऐंट्रैंस के लिए टैस्ट देने के लिए उन्हें उन के साथ पटना चलना है.

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