छोटे बच्चों का अपनी छोटीछोटी चीजों से, खिलौनों से इतना जुड़ाव होता है कि वे उन्हें दूसरे बच्चों के साथ शेयर नहीं कर पाते. नतीजा आप का बच्चा लड़झगड़ कर समूह से बाहर अकेले बैठ जाता है. उदार हृदय होना एक अति आवश्यक सामाजिक गुण है, किंतु बच्चों को उदार बनाना या दूसरे शब्दों में कहें तो शेयरिंग सिखाना आसान नहीं. बच्चे जब 2 साल के होते हैं और स्कूल जाना या दूसरे दोस्तों में उठनाबैठना सीख रहे होते हैं तो उन का जुड़ाव उन के खिलौनों से बहुत अधिक होता है. उन के झगड़े अधिकांश उन से ही जुड़े होते हैं, झगड़ा चाहे दोस्तों से हो या मातापिता से. मिलबांट कर खेलने का गुण विकसित करने के लिए अभ्यास और समझ की आवश्यकता होती है. इस में कम से कम 1-2 साल तो लगते ही हैं और यह स्वाभाविक है.

मातापिता को चाहिए कि वे सब्र से काम लें. बच्चे को शेयरिंग सिखाने में मदद करने के लिए आप ये कर सकते हैं : मिल कर खेलने या खाने की खुशी: मेरी एक सहेली जब भी अपनी बिटिया को गार्डन ले कर जाती है तो वह अपने साथ कुछ अतिरिक्त खिलौने ले जाती है जिन्हें उस की बिटिया अपने दोस्तों को दे सकती है. जब वापस जाने का समय आता है तो वह बच्चों से खिलौने वापस एकत्रित कर लेती है. उस की बिटिया को शेयर करने से खुशी का अनुभव होता है और सारे खिलौने उसे वापस मिल भी जाते हैं. इसी तरह अगर आप बच्चों के टिफिन में कुछ स्नैक्स भेज रही हों जैसे कि पौपकौर्न या चिप्स, तो कुछ ज्यादा भेजें और उसे बच्चे को अपने दोस्तों में शेयर करने को कहें. इस से उसे देने की खुशी का अनुभव होगा और वह खुद ही शेयरिंग सीखने लगेगा.

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