वर और वधू भिन्न संस्कृति व अलगअलग देशों से होते हैं तो शादियों की महिमा अद्भुत होती है. ऐसी शादियों के कुछ दृश्य असाधारण होते हैं. ऐसी ही एक जोड़ी है अवनी और फबनी की. अवनी एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन समूह के परियोजना प्रबंधक हैं. नस्ल से वे आधे गुजराती और आधे उत्तर प्रदेशी हैं. फबनी जरमनी की उ-मी हैं. एक छात्र विनिमय कार्यक्रम के अंतर्गत इन दोनों की मुलाकात जरमनी के एक बिजनैस स्कूल में हुई थी. उस समय अवनी की उम्र

23 वर्ष थी. जब अवनी का शिक्षासत्र खत्म हुआ तो इन दोनों ने निरंतर एकदूसरे से मिलने का निर्णय लिया. कुछ ही समय में उन दोनों ने शादी के बंधन में बंधने का निर्णय भी ले लिया. इस निर्णय को अपने अभिभावकों के समक्ष रखने में दोनों के दिल तितली की तरह धड़क रहे थे. भले ही उन दोनों के कुछ दोस्त इसे गलत मान रहे थे लेकिन उन दोनों ने अपना निर्णय अपनेअपने अभिभावकों के समक्ष रख ही दिया.

उन दोनों के अभिभावक उन के निर्णय से खुश थे सिवा एक चीज के कि शादी किस तरीके से की जाए, जरमन तरीके से या भारतीय तरीके से. लेकिन यह दुविधा भी शीघ्र ही हल हो गई क्योंकि जैसे ही फबनी के मातापिता ने मीरा नायर की फिल्म ‘मानसून वैडिंग’ देखी तो उन्होंने स्वयं को भारतीय शादी के खुमार में ढलने की तैयारी शुरू कर दी. वैसे भी जरमन तरीके से शादी आसान नहीं थी. अवनी के परिवार वाले जरमन संस्कृति के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे. वहां उन्हें एक जरमन पादरी मिल गया, उस ने विवाह संस्कारों को सफल बनाने में पूरा सहयोग दिया.

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