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लेकिन सुनयना ने ऐसा कभी नहीं सोचा था कि जिस पिता को वह भगवान मानती आई है वही उसे शराब के कारण बेच देगा वह भी ऐसे इंसान को जो दुराचारी व हत्यारा है. जिस सुनयना ने कभी उस राजन को भाव नहीं दिया, वह अब उस की पत्नी बन गई थी वह भी सिर्फ अपने परिवार की खातिर. राजन भी जानता था, चारा क्या है अब उस के पास, इसलिए उस के सामने ही वह अपनी माशूका को ले कर आता और उस के सामने ही वह करने लगता जिसे देख हर पत्नी मर जाना चाहेगी. कहते हैं मर्द को कोई औरत तभी तक अच्छी लगती है जब तक वह उसे संपूर्ण तरह से पा नहीं लेता. सुनयना तो अब उस के घर के शोकेस में रखे जाने वाली मात्र एक महंगी वस्तु थी, जिसे लोग महंगे दामों में खरीद तो लेते हैं पर फिर उसी से उन का मन उकताने लगता है और वह फिर नई की तलाश में निकल पड़ते हैं. रोज नईनई लड़कियों के साथ वह अपनी रातें रंगीन करता था वह भी सुनयना के सामने और वह कुछ नहीं बोल पाती, क्योंकि उस का परिवरा राजन का कर्जदार जो था.

राजन की माशूका मोहिनी को उस के सारे काले कारनामों का पता होता था, बल्कि राजन क्या करता है, कहां जाता है, किस,से मिलता है वह सब भी उसे खबर होती थी. मोहिनी उस के हर पाप की राजदार थी. मोहिनी चाहती थी राजन उस से शादी कर उसे अपना नाम दे दे, पर राजन तो उसे अपनी रखैल बना कर रखना चाहता था और इस बात पर कभीकभी दोनों में मतभेद भी हो जाते थे.

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