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पहले तो राजन का आदमी लोगों को कम ब्याज पर पैसे देने का झांसा दे कर अपने चंगुल में फंसाता, फिर 10 से 20 प्रतिशत ब्याज की दर बढ़ा देता. पैसे नहीं देने पर मसल्स पावर के दम पर पैसे वसूले जाते. उस से भी बात न बनती तो वह लोगों को डराधमका कर उन का घरजमीन अपने नाम लिखवा लेता. उन की बहूबेटियों को उठा कर ले जाता. कर्जदार लोगों को वह अपने बंगले के आगे खड़े कर पिटवाता था. उसे कुत्तों से चटवाता और उस का पेशाब तक उन्हें पिला देता. कर्जदारों को वह इतना परेशान करता था कि इंसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते थे, क्योंकि और कोई रास्ता ही नहीं बचता था उन के पास. अपना घर छोड़ कर भाग भी जाए, तो राजन का आदमी उसे ढूंढ लाता था और फिर उस इंसान की वह गत करता कि बस सांसें लेने लायक रह जाता वह आदमी.

एक रूल बना दिया था राजन ने कि जिसे भी पैसे चाहिए वह उस का ही दरवाजा खटखटाएगा, वरना जान से जाएगा. इसलिए न चाहते हुए भी लोग मजबूरीवश राजन के पास ही सूद पर पैसे लेने जाते और फिर पूरी उम्र उस का गुलाम बन कर रह जाते थे. छुटकारा ही नहीं था फिर राजन से उन का. सूद चुकातेचुकाते ही इंसान ऐसे कंगाल बन जाता कि मूल चुकाने के पैसे ही न बचते उन के पास. रुपए कर्ज लेने वाले लोगों को ताउम्र रोना पड़ता. कर्ज लेने वाले ऊपर चले जाते लेकिन कर्ज खत्म न होता. कर्जदार के बाद उस का बेटा कर्ज चुकातेचुकाते बूढ़ा हो जाता, लेकिन कर्ज चुका न पाता. राजन दुश्चरित्र इंसान तो था ही, जालिम भी वह उतना ही था कि जमीन अपने नाम करवाने के बाद वह गरीबलाचार इंसान का अंगूठा ही कटवा देता. सूद पर पैसे दे कर वह लोगों का जीवन अच्छा नहीं, बल्कि नरक बना देता था. फिर जीवनभर लोग उस के चंगुल से छूट न पाते थे.

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