बेतरह जल रहा है मेरा आशियां
पानी न हो तो आंसुओं से बुझा दो
झनझना कर रह गए मेरी वीणा के तार
गीत कोई अपनी खुशी का सुना दो.
बलवीर सिंह पाल
 

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