सियासत की गहरी चाल देखिए

कभी तीर, कभी शमशीर, ढाल देखिए

वही मसीहा, सितमगर भी है वही

उन की रहमदिली का कमाल देखिए

होगा ये मुल्क कभी चिडि़या सोने की

अब आम आदमी को बदहाल देखिए

कर रहे हैं यूं तो हम रोज तरक्की

फिर भी मांगते हैं भीख, मिसाल देखिए

मांगते हैं हम जिंदगी से हिसाब

जिंदगी पूछती है हम से सवाल देखिए

हम ने ही उन्हें भेजा है दिल्ली भोपाल

दे रहे हैं वे हमें धक्के मजाल देखिए

माना कि हम हैं पंछी आजाद गगन के

मगर कभी शिकारी तो कभी जाल देखिए.

        - रमेशचंद्र शर्मा

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