जा रहे हैं तो अपना प्यार देते जाइए

यादों का एक चिराग तो जलाते जाइए

मजाक में हुआ था, मजाक नहीं है प्यार

मजाक में इसे न यों उड़ाते जाइए

माना कि जिंदगी तुम्हारी आसां नहीं रही

अब मेरी दास्तां भी तो सुनते जाइए

छोड़ दिया है मैं ने अपना फैसला तुम पर

अपने हाथों मेरा भविष्य लिखते जाइए

जिंदगी वो नहीं जो हम तुम सोचते हैं

यहां जो हो रहा है बस देखते जाइए

ये क्या तलाशता रहता हूं मैं हरदम

मेरी जिंदगी मुझे वापस करते जाइए

जिंदगी को चार दिन की समझते ही क्यों हो

अरे प्यार में सदियां गुजारते जाइए.

                                    - बालकृष्ण काबरा ‘एतेश’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...