खत जो तुम ने लिखा नहीं होता

जख्म दिल का हरा नहीं होता

अपनाअपना खयाल है लेकिन

दर्द, दिल की दवा नहीं होता

++तू ने चाहा नहीं मुझे वरना

इस जमाने में क्या नहीं होता

बेखबर तुम रहो, परेशां हम

यूं कोई सिलसिला नहीं होता

दाग ही दाग जो दिखाए वो

आईनाआईना नहीं होता

सब हैं हालात के फरेब ‘आलोक’

कोई खोटा, खरा नहीं होता.

       - आलोक यादव

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...