बिका जमीर कितने में

हिसाब क्यों नहीं देते

सवाल पूछने वाले

जवाब क्यों नहीं देते

किसी ने घर जलाया था

उसी से जा के ये पूछा

जला के घर हमारा

आब क्यों नहीं देते

सभी यहां बराबर हैं

सभी से प्यार करना तुम

सबक लिखा हुआ जिस में

किताब क्यों नहीं देते

छिपा नहीं छिपाने से

हुस्न कभी भी दुनिया से

हंसी सभी हटा अपनी

हिजाब क्यों नहीं देते

यही तो मांगते सब हैं

हमें भी कुछ उजाला दो

नहीं कहा किसी ने

आफताब क्यों नहीं देते

अभी तो प्यार का मौसम है

और रुत है सुहानी

कभी किसी हसीना को

गुलाब क्यों नहीं देते.

- डा. लोक सेतिया ‘तन्हा’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...