जख्म भरे नहीं,
दर्द का नया दौर आना अभी बाकी है,
आंधियों ने करवट ली है,
तूफान का आना अभी बाकी है.
दो निवाला तक हलक में उतरता नहीं,
फिक्रे जिंदगी में,
बेजान ठठरियों का,
बिना आग का जलना अभी बाकी है.
समय बदला है,
नवयौवन सा नव शृंगार कर,
दिन सुहाना तो बीत गया,
अंधेरी रात का आना अभी बाकी है.
उन हसीन लम्हों की,
सुनहरी यादें भी बड़ी कातिल हैं,
मैं गलफत में था,
यादों का कर्ज चुकाना अभी बाकी है.
ये न समझो कि बीमार का
हाल अच्छा है मेरे यारों,
मौत ने दी है दस्तक,
जिंदगी का खत्म होना अभी बाकी है.

- नवल किशोर कुमार

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...