होंठ के जाम मुझे पी के
बहक जाने दे,
सांस में सांस घुले,
उन्हें महक जाने दे.
होश की चाह नहीं
मुझ को मेरे यार सनम,
आज जज्बात का
हर बांध छलक जाने दे.
बारिशें कैद सी खड़ी हैं
देख मोहब्बत की,
रोक मत आज इन्हें
खुल के बरस जाने दे.
चांदनी रश्क कर रही है
आज अपनी रोशनी पे,
चांद के नूर से
जिस्मों को दहक जाने दे.
तू हिमाकत कहे,
कह ले चाहे गुस्ताखी,
ये हसीं शाम गुनाहों में
बदल जाने दे.
एक ही रात मिली है
मुझे जीने की खातिर,
आज अरमान सभी,
दिल के निकल जाने दे.
आज तू शाह बने
और मैं मुमताज महल,
इश्क फिर प्रेम निशानी में
बदल जाने दे.
- आशा शर्मा
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