तू कौन है मेरा,

यह अब मैं ने जाना,

तेरे बिन हर लमहा,

लगता है बेगाना.

हर क्षण तुझे ही जपती हूं,

तेरी सांसों की आहट भर से,

तितली बन खुशी से उड़ती हूं.

तू है उमड़ता सागर,

या कोई स्थिर किनारा,

मैं एक नन्हा सा मोती,

तुझ से ही वजूद सारा.

तू बूंद है पहली बारिश की,

मैं सदियों से प्यासी चातक,

हृदय चक्षु में बस गया तू ही,

अब देखूं कहां तक?

तू भावनाओं का इक दरिया,

मैं गोते लगाती कश्ती,

तू लहलहाता वृक्ष सा,

मैं चरणों में बिखरी मिट्टी.

तू है सुहावना मौसम,

मैं ठंडी मदमाती पवन,

तू भोर की अद्भुत लाली,

मैं राह ताकती विरहन,

मैं हूं अधूरी तुझ बिन.

तू ही तो मेरा साजन

शृंगार तू मेरे यौवन का,

पिया तू मेरा आभूषण.

तू श्रद्धा का जीवंत एहसास है,

तू मेरा जीवन तू ही प्यास है,

तू आरजू है मेरी तू प्रेरणा है,

तू ही अभिलाषा तू संवेदना है.

तेरा जो भी स्वरूप है,

मैं प्रिये हूं तेरी,

तू प्रियतम न्यारा.

     -प्रिया रानी

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