ऐक्टिंग के जनून के शिकार हजारों नौजवानों की ही तरह उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर गोरखपुर का टैलीकौम इंजीनियर रवि दुबे भी मुंबई इसी सपने को ले कर आया था. पर वह उन नौजवानों की भीड़ में शामिल नहीं हुआ जो एक बार की असफलता से निराश हो जाते हैं. कड़ी मेहनत और इच्छाशक्ति के बलबूते देखते ही देखते वह छोटे परदे पर छा गया.

पहले ‘डोली सजा के रखना’ फिर ‘सास बिना ससुराल’ और उस के बाद ‘जमाई राजा’ जैसे टाइटल वाले शो उसे मिलते हैं.

रवि एक इंजीनियर से ऐक्टर कैसे बन गया?

‘‘इस की एक लंबी कहानी है,’’ वह कहता है, ‘‘फिलहाल मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि मेरी बचपन से ही ऐक्टिंग करने की इच्छा थी. जब मैं हिंदी फिल्में देखता था तो हमेशा सोचता कि मैं हीरो बनूंगा और परदे पर दिखूंगा. स्कूली पढ़ाई के बाद घर वालों की इच्छा थी कि मैं इंजीनियर बनूं. इसलिए मैं दिल्ली से मुंबई इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए आ गया था. पर पढ़ाई के साथसाथ शौकिया मौडलिंग भी करने लगा. दर्शकों का प्रोत्साहन मिला तो अपने शौक को प्रोफैशन में बदला.

‘जमाई राजा’ में रवि मराठी महिला का किरदार निभा रहा है तो एक रिऐलिटी शो ‘इंडिया बैस्ट ड्रामाबाज-2 में होस्ट बना है.

मराठी महिला ज्योति ताई के किरदार के लिए वह तुरंत तैयार हो गया था. हालांकि ताई का किरदार निभाने में एक मुश्किल थी और वह थी उम्रदराज महिला के अंदाज में मराठी टोन के डायलौग बोलना. दरअसल, यह एक सीरियस कैरेक्टर है,  इसलिए उसे लाउड रखने का सवाल ही नहीं उठता. इस कैरेक्टर के लिए कुछ बातें उस ने अपनी मां से सीखीं. वे भी बहुत सिंपल रहती हैं. बहुत ही प्यार से और धीमा बोलती हैं.

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