संगीत महज तालीम से नहीं निखरता है. बल्कि संगीत, खासकर गायन में निखार उस गायक की निजी जिंदगी के अनुभवों, उतार चढ़ाव, उसकी अपनी भावनाओं से ही निखरता है. यह एक कड़वा सच है और इसका ताजातरीन उदाहरण  बौलीवुड की चर्चित गायिक कनिका कपूर हैं.

मूलतः उत्तर प्रदेश में लखनऊ के खत्री पंजाबी परिवार में जन्मी कनिका कपूर ने पं.गणेश प्रसाद मिश्रा के अलावा ‘‘भातखंडे संगीत विश्व विद्यालय’ से क्लासिकल संगीत की ट्रेनिंग हासिल की. ग्यारह बारह साल की उम्र से स्टेज शो में गाना शुरू कर दिया था. कनिका कपूर ने अनूप जलोटा के संग स्टेज पर कई भजन भी गाए. पर 1997 में महज अठारह साल की उम्र में अप्रवासी भारतीय व्यापारी राज चंडोक के साथ विवाह रचाकर वह संगीत को हमेशा के लिए तिलांजली देकर लंदन चली गई. लंदन में वह अपने वैवाहिक जीवन में खुश थी. पर तीन बच्चों कीं मां बनते ही उनके जीवन में तूफान आ गया और पति से अलगाव हो गया. अब सिंगल मदर की हैसियत से तीनों बच्चों की परवरिश कनिका कपूर के कंधों पर आ पड़ी. तब कनिका कपूर को अपनी क्लासिकल संगीत की तालीम याद आयी. मुंबई आकर उन्होंने संगीत के क्षेत्र में करियर बनाने के प्रयास शुरू किए.

फिर 2012 उनकी जिंदगी में सुख और दुःख दोनो एक साथ लेकर आया. 2012 में उनका पति से कानून तलाक हुआ, तो वहीं उनका पहला प्रायवेट अलबम ‘जुगनी’ के अलावा फिल्म ‘रागिनी एमएमएएस 2’ में उनका स्वरबद्ध गीत ‘बेबी डॉल’ हिट हुआ और वह रातों रात स्टार बन गयी. उसके बाद से संगीत क्षेत्र में उन्हे पीछे मुड़कर देखने की जरुरत महसूस नहीं हुई.

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