वैसे तो भाजपा के लिये उत्तर प्रदेश फतह कोई कठिन काम नहीं होना चाहिये. लोकसभा में उत्तर प्रदेश ने भाजपा को 73 सांसद दिये थे. इस हिसाब से देखे तो भाजपा को उत्तर प्रदेश में 300 से उपर विधानसभा सीटे मिलनी चाहिये. केन्द्र में मोदी सरकार के 2 साल पूरे होने के बाद उत्तर प्रदेश में पार्टी का जनाधार खिसक गया है. अब भाजपा को विधानसभा में बहुमत का आंकडा मुश्किल दिखाई पड़ रहा है.

उत्तर प्रदेश में भाजपा की नैया पार लगाने के लिये मोदी सरकार के केन्द्रीय मंत्रियो को उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रचार का काम सौंपा जा रहा है. पहले चरण में 26 मई से 15 दिन के लिये 45 मंत्री प्रदेश के अलग अलग शहरों में पार्टी प्रचार अभियान चलायेगे. 26 मई को केन्द्र सरकार के 2 साल पूरे हो रहे है. इसको लेकर केन्द्र सरकार और भाजपा संगठन अपने अपने स्तर पर काम कर रहे हैं. मोदी सरकार के प्रचार के बहाने उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान शुरू किया जा रहा है.

असम की जीत के बाद भाजपा खुद को आत्मविश्वास से लबरेज दिखाने की कोशिश कर रही है. असल बात यह है कि भाजपा को खुद पता है कि उत्तर प्रदेश में पार्टी की हालत बेहद खराब है. 73 सांसद देने वाले उत्तर प्रदेश में पार्टी की लोकप्रियता कम हुई है. जिसकी वजह से भाजपा संगठन की नींद उडी हुई है. भाजपा किसी भी हालत में उत्तर प्रदेश फतह करना चाहती है. इसके लिये उसने व्यापक प्रचार अभियान की शुरूआत कर दी है. भाजपा की मुश्किल यह है कि उत्तर प्रदेश के बडे भाजपा नेता खेमेबंदी का शिकार हैं.

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