अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में सोनिया गांधी ने एक ऐसी बात कही, जिसे पूरी दुनिया जानती है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, कोई शहंशाह नहीं, पर तब तक  जानने बाले यह भी जान गए थे कि ज्यादा नहीं एक दिन पहले ही यह खबर छन कर आई थी कि उनके दामाद राबर्ट बाड्रा का इंग्लैंड तरफ भी एक बेनामी गुमनामी मकान है. कहने को तो मोदी सरकार के 2 साल पूरे होने पर मनाए गए जश्न पर सोनिया ने यह कहते निशाना साधा था कि देश में सूखा पड़ा है और सरकार बेवजह योजनाओं की कामयबियों पर ढ़ोल पीट रही है, लेकिन लोगों ने देर सी दी गई इस  प्रतिक्रियानुमा भड़ास के माने यही निकाले कि दामाद जी पर थोड़ा सा शिकंजा क्या कसा, कि प्रधानमंत्री जो खुद को प्रधान सेवक कहते अघाते नहीं, शहंशाह नजर आने लगे. अभी सोनिया और कांग्रेस दोनों 4 राज्यों में हुई दुर्गति की समीक्षा भी ढंग से नहीं कर पाये थे यानि दुख नहीं मना पाये थे कि राबर्ट बाड्रा नाम की दुखती नस पर फिर हाथ रख दिया गया जिससे पूरी कांग्रेस दहल जाती है.

प्रियंका पर दबाव

पति संकट में हो तो भारतीय नारी शेरनी बन जाती है. यह वह वक्त है जब उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव पर सबकी नजरे हैं और हर कोई मान रहा है कि अपने इस पुराने गढ़ में कांग्रेस 30-40 सीटें भी ले जाए, तो बहुत है. कोई भारी उलटफेर या चमत्कार ही उसकी वापसी करा सकता है. उलटफेर आज कल होते नहीं और चमत्कार के नाम पर प्रियंका गांधी भर बची हैं, जिन्हें सीएम प्रोजेक्ट कर कांग्रेस दूसरे या तीसरे नंबर की सोच सकती है. हालांकि पान की गुमठियों और चाय ठेलों, जहां जमीनी राजनैतिक विश्लेषण होता है, के समीक्षक इसे अब गारंटी की नहीं बल्कि चांस की बात मानने लगे हैं पर इन लोगों की ही राय है कि अगर राबर्ट को ज्यादा परेशान किया गया, तो प्रियंका इन्दिरा गांधी सरीखे आक्रामक तेवर दिखाते राजनीति के मैदान में कूदकर हाहाकार मचा सकती हैं. वे मोदी को शहंशाह नहीं बल्कि तानाशाह करार देंगी.

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