कोलकाता के प्रेसीडेंसी जेल में बंद सारदा चिटफंड घोटाला मामले के अभियुक्त व तृणमूल कांगे्रस के बहिष्कृत सांसद कुणाल घोष ने 14 नवंबर को 5 मिलीग्राम की एलजोलम नामक नींद की 54 गोलियां खा कर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. इस से पहले कुणाल ने अदालत में सुनवाई के दौरान सारदा ग्रुप से आर्थिक फायदा उठाने वाले राज्य के अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों की गिरफ्तारी न किए जाने पर आत्महत्या करने की धमकी दी थी. यानी कुणाल द्वारा घोषित रूप से आत्महत्या की यह कोशिश थी. जेल प्रशासन ने धमकी को गंभीरता से नहीं लिया था. सुबह इलाज के बाद अस्पताल से बाहर निकलते हुए कुणाल ने पत्रकारों से बात करने की कोशिश की तो पुलिस ने अति तत्परता के साथ रोक दिया. कुणाल को धक्का दिया गया और उन के मुंह पर पुलिस ने अपनी टोपी रख कर मुंह खोलने से रोक दिया.

हालांकि अगले दिन कुणाल अपनी बात पत्रकारों तक पहुंचाने में सफल रहे. सीबीआई की पूछताछ के लिए जाते समय कुणाल ने यह बयान दे ही दिया कि प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सारदा चिटफंड से अगर किसी को सब से अधिक लाभ हुआ है तो वे हैं ममता बनर्जी. आत्महत्या की कोशिश से पहले सीबीआई को लिखे 4 पन्ने के पत्र में कुणाल ने ममता बनर्जी, मुकुल राय, मदन मित्र, मुख्य सचिव संजय मित्र, मुख्यमंत्री के सचिव गौतम सान्याल, कोलकाता पुलिस कमिश्नर सुरजीत पुरकायस्त, विधाननगर पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार, ‘प्रतिदिन’ अखबार के मालिक व तृणमूल के पूर्व राज्यसभा सांसद स्वप्न साधन बोस और उन के बेटे व तृणमूल के वर्तमान राज्यसभा सांसद सृंजय बोस जैसे तृणमूल के बड़े नेताओं के नाम लिए हैं. पत्र के अंत में कुणाल ने इसे सुसाइड नोट मानने का अनुरोध सीबीआई से किया था.

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