सरकार अगर नाराज हो जाये तो क्या कुछ नहीं हो सकता ? बडे से बडे रसूखदार को पल भर में नेस्तनाबूद किया जा सकता है. उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की बिसंवा विधनसभा के विधयक रामपाल यादव इसकी ताजा मिसाल है. रामपाल यादव समाजवादी पार्टी के ही विधयक है. जाति से भी यादव है. ऐसे में जब उनके लखनउ और सीतापुर जिलों में बने अवैध् निर्माण को जेसीबी और पोकलैंड मशीनों से गिराया गया. जिसका विरोध् करते हुये विधयक रामपाल यादव, उनके संबंध्ी और समर्थको ने पुलिस और दूसरे लोगों पर पिस्तौल से हमला करने का दुस्साहस भरा कदम उठा लिया. तब पुलिस ने विधयक रामपाल सहित आध दर्जन लोगों पर मुकदमा लिखा कर जेल भेज दिया था.अ पनी ही पार्टी के राज में किसी विधयक के खिलाफ ऐसे कदम से पता चला है कि सरकार कितनी सख्त और न्यायप्रिय है.

रामपाल के मसले को थोडा करीब से देखे तो मामला इतना सख्त नही है जितना दिखता है. दरअसल रामपाल यादव सीतापुर में समाजवादी पार्टी से जिला पंचायत चुनाव में बगावत कर चुके थे. जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी का जिला पंचायत प्रत्याशी चुनाव हार गया था. रामपाल को उम्मीद थी कि जिला पंचायत चुनाव जीतने के बाद वह पार्टी के साथ वापस आ जायेगा. सपा ने रामपाल की बगावत को गंभीरता से लिया. रामपाल के लखनउ में जियामउ में अवैध् निर्माण का मसला पुराना चल रहा था. कई बार लखनउ विकास प्राध्किरण की टीम वहां से खाली हाथ वापस आ चुकी थी. रामपाल को इस बार भी उम्मीद थी कि इस बार भी ऐसा ही हो जायेगा. अपने पुराने रूतबे के गुरूर में रामपाल के करीबी लोगों ने लखनउ विकास प्राध्किरण के लोगों पर पिस्तौल तान दी. सरकार के अफसरों को पता चल चुका था कि रामपाल यादव का रसूख टूट चुका है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...