राज्य में शराबबंदी अदालतों, राज्य सरकार और विरोधी दलों के बीच डोल रही है.  शराब लौबी शराबबंदी के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में दस्तक देती है, तो राज्य सरकार उसे कायम रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाती है. अब सरकार ने 2 अक्तूबर, 2016 को नया और पहले से कड़ा शराबबंदी कानून लागू किया है, तो उस के खिलाफ भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी शुरू हो गई है. पटना हाईकोर्ट ने 30 सितंबर, 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी के राज्य सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए उसे रद्द करने का फरमान जारी कर दिया था.

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह ने राज्य में पूरी तरह से शराबबंदी कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था कि राज्य सरकार ने शराबबंदी से संबंधित 5 अप्रैल, 2016 को जो अधिसूचना जारी की थी, वह संविधान के अनुकूल नहीं है. इस वजह से इसे लागू नहीं किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने 20 मई, 2016 को इस मामले पर पूरी सुनवाई होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इस के पहले सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से उन के वकीलों ने दलील दी थी कि राज्य सरकार के संशोधित उत्पाद कानून के तहत 1 अप्रैल, 2016 से समूचे राज्य में देशी शराब को बेचने पर पाबंदी लगाई थी और उस के बाद धीरेधीरे विदेशी शराब पर भी रोक लगाने की बात कही गई थी. इस के बाद अचानक सरकार ने 5 अप्रैल, 2016 को राज्य में हर तरह की शराब के खरीदने और बेचने पर रोक लगा दी. सरकार ने बार चलाने के लिए 1 अप्रैल, 2016 को एक साल के लिए लाइसैंस दिया था और लाइसैंस लेने वालों से एक साल की फीस भी जमा करवा ली थी. इस लिहाज से अचानक शराब पर रोक लगाना जायज नहीं है. बिहार सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील राजीव धवन और राज्य के प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने दलील दी कि भारतीय संविधान के प्रावधानों के तहत ही शराब पर बैन लगाया गया है. उन्होंने कोर्ट से यह भी कहा कि सरकार ने नागरिकों की सेहत को ध्यान में रख कर यह फैसला लिया है और इस तरह का फैसला लेना सरकार के अधिकार में भी है. दिलचस्प बात यह है कि विदेशी शराब पर रोक को लागू करने वाली अधिसूचना को उत्पाद अधिनियम की धारा 19(4) को असंवैधानिक करार देने वाली पटना हाईकोर्ट की डबल बैंच के दोनों जजों ने अलगअलग फैसले लिखे. दोनों जज शराब पर रोक लगाने के लिए एकमत तो हुए, पर कुछ पहलुओं पर दोनों की राय अलगअलग रही.

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