बाल्यावस्था से बच्चों में पढ़ने के प्रति प्रवृत्ति, रुचि जगाना लाभकारी होता है. पढ़ने से जहां एक ओर बच्चों का मानसिक विकास होता है वहीं दूसरी ओर समय का भी सदुपयोग होता है, अच्छी आदतों का निर्माण व विकास होता है. बच्चों में पढ़ने के प्रति प्यार सकारात्मक अनुभवों से ही उत्पन्न किया जा सकता है.  वे मांबाप या अध्यापक बच्चों में पढ़ने के प्रति प्यार जगा सकते हैं जो धैर्यपूर्वक घंटों, दिनों बच्चों का एकएक शब्द सुनते हुए उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकें जब तक कि बच्चे पढ़ने में आश्वस्त व आत्मविश्वासी न हो जाएं. पढ़ने में निपुण होने पर बच्चों के मुख पर जो उल्लास झलकता है वह देखने योग्य होता है. बच्चों को इस उल्लास की स्थिति में लाने व उन्हें शौकीन पाठक बनाने के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें शुरू से ही ऐसे सकारात्मक अनुभव प्रदान किए जाएं जिस से वे प्रोत्साहित हो स्वयं ही पढ़ने के लिए प्रेरित हों.

बच्चों में पढ़ने की प्रवृत्ति जगाने में सब से सहायक बात होती है कि उन्हें  उन की क्षमता, स्तर व उन की पसंद की किताबें पढ़ने के लिए दी जाएं जिस से उन की पढ़ने में रुचि बनी रहे और वे बोर हो कर पढ़ना न छोड़ दें. जब बच्चों को उन की क्षमता से बढ़ कर किताबें पढ़ने के लिए दी जाती हैं तो वे उन्हें ठीक से न पढ़ पाने पर हतोत्साहित हो जाते हैं, डर जाते हैं और फिर पढ़ने से कतराने लगते हैं. इसलिए उन्हें प्रेरित करने के लिए ऐसी पुस्तकें दी जानी चाहिए जिन्हें वे पढ़ सकें व आसानी से समझ सकें.

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