समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की व्यूहरचना शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश में कोई महागठबंधन जैसी ताकत उभर न सके, इसके लिये सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने ‘सत्ता का ब्रम्हास्त्र’ का प्रयोग करना शुरू कर दिया है. ‘सत्ता का ब्रम्हास्त्र’ विधान परिषद और राज्यसभा के जरीये चलाया जा रहा है. ‘सत्ता का ब्रम्हास्त्र’ पुराने समाजवादी नेताओं को एकजुट होने का जरीया बन गया है. अमर सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा के बाद अब लोकदल नेता अजीत सिंह इस ब्रम्हास्त्र के निशाने पर हैं. समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश में किसी बडे राजनीतिक गठजोड को आकार लेने से पहले ही खत्म कर देने की योजना बना कर चल रहे हैं. मुलायम सिंह यादव चाहते हैं कि गैर भाजपा और गैर कांग्रेस दल के रूप मे समाजवादी पार्टी ही मुकाबले में दिखे. मुलायम सिंह की मुख्य चिन्ता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हें.

जनता दल यूनाइटेड नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले एक बडा गठबंधन बनाना चाहते हैं. इसमें जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, अपना दल, लोकदल सहित कई छोटे छोटे दलों के शामिल होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. उत्तर प्रदेश में 3 प्रमुख ताकतवर पार्टियां भाजपा, बसपा और सपा है. चुनाव के पहले इनमें से कोई भी एक दूसरे से मिलने को तैयार नहीं है.

कांग्रेस यहां चौथी पार्टी के रूप में है. कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड का गठबंधन बिहार में सरकार चला रहा है. यह गठबंधन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी एक गठबंधन की शक्ल बनाने की राह पर है. इस गठबंधन में लोक दल और अपना दल जैसे छोटे छोटे दलों के भी शामिल होने की बात चल रही थी. कांग्रेस की अगुवाई में बनने वाला यह गठबंधन उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में कोई भी उलटफेर कर सकता है.

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