नरेंद्र मोदी की सरकार यूटर्न की सरकार बनती जा रही है. उस का सब से नया यूटर्न हुर्रियत पर है. 2 साल पहले हुर्रियत नेताओं के  पाकिस्तानी अधिकारियों से मिलने पर एतराज करते हुए मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत रद्द कर दी थी. लेकिन अब सरकार ने पलटी मारते हुए कहा है कि जम्मूकश्मीर हुर्रियत कौन्फ्रैंस के नेता किसी भी विदेशी प्रतिनिधि से मिलनेजुलने के लिए आजाद हैं. अगर ऐसा है तो 2014 और 2015 में उन से मिलने के पाकिस्तानी अधिकारियों के कार्यक्रम को मुद्दा बना कर भारत सरकार ने पाकिस्तान से बातचीत क्यों रद्द की थी? इसी पृष्ठभूमि के कारण संसद में विदेश राज्यमंत्री जनरल विजय कुमार सिंह के दिए एक लिखित जवाब पर सवाल उठे हैं. सिंह ने कहा, ‘‘चूंकि पूरा जम्मूकश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और तथाकथित कश्मीरी नेता भारत के नागरिक हैं, इसलिए उन के किसी देश के नुमाइंदे से मिलने पर कोई रोक नहीं है.’’ सवाल पाकिस्तान के संदर्भ में ही पूछा गया था.

अगस्त 2014 में दोनों देशों के विदेश सचिवों की बातचीत तय थी. उस से पहले पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने हुर्रियत नेताओं से मुलाकात का कार्यक्रम बनाया. इस से नाराज भारत सरकार ने वार्त्ता ही रद्द कर दी. पिछले साल पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज भारत आने वाले थे. भारतीय एनएसए अजित डोभाल से बातचीत से पहले उन्होंने हुर्रियत नेताओं से मिलना तय किया. फिर भारत ने बातचीत रद्द की. लेकिन उस के बाद से काफी गौमूत्र बहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच पेरिस में छोटी मुलाकात हुई. उस के बाद पिछले दिसंबर में नवाज शरीफ के जन्मदिन पर बधाई देने के लिए मोदी उन के घर गए.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...