भोपाल के राजभवन में नए 9 मंत्रियों की शपथ के दौरान सब कुछ ठीक ठाक नहीं था, हर कोई यहां तक कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सहमे हुये से दिख रहे थे, जो आम तौर ऐसे किसी भी समारोह में खुश दिखने का अभिनय ही सही कर तो लेते थे, लेकिन इस अहम दिन वे चाहकर भी मुस्कुरा भी नहीं सके तो सहज लगा कि इस बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित फेरबदल, जो अंततः फरेब साबित हुआ उन पर थोपा गया था और अगर ऐसा नहीं था तो यह मानने में किसी को कोई परहेज नहीं करना चाहिए कि उनसे ज्यादा चतुर नेता मिलना मुश्किल काम है.

3 साल से मंत्रीमंडल विस्तार को किसी न किसी बहाने से टरकाते आ रहे शिवराज सिंह चीन यात्रा से लौट कर भोपाल आए और उल्टे पांव दिल्ली और वहां भी सबसे पहले संघ कार्यालय केशव कुंज गए, तो मानसून से ज्यादा आशंकाओं और अटकलों के बादल उमड़ने घुमड़ने लगे थे. आखिरकार बिजली गिरी तो बाबूलाल गौर और सरताज सिंह पर, जो क्रमश 86 और 76 साल के हैं. इनसे दिल्ली से खासतौर से आए विनय सहस्त्र्वुद्धे और नंद कुमार सिंह चौहान ने कहा आप लोग इस्तीफा दे दें, क्योकि पार्टी की नई गाइड लाइंस के मुताबिक 75 से ज्यादा का कोई नेता संगठन या सत्ता में नहीं रहेगा. सरताज सिंह ने कहा, ठीक है मैं  पार्टी की यह बात भी मानूँगा पर हटाने का पैमाना उम्र नहीं पर्फार्मेंस होना चाहिए , मैं स्वस्थ हूँ सक्रिय हूँ और सबसे से ज्यादा दौरे करता हूँ आप मेरी बात उन लोगों तक पहुंचाइए जिनहोने यह नया नियम बनाया. बात वहाँ तक पहुंची या नहीं यह सुनिश्चित करने से पहले उन्होने इस्तीफा दे दिया, पर बाबूलाल गौर अड़ गए और बोले मैं इस्तीफा नहीं दूंगा, मैंने पार्टी को खून से सींचा है, पहले मेरी गलती बताइये. भले ही मुझे मंत्रिमंडल से बाहर कर दीजिये, मैं इस्तीफा नहीं दूंगा और न ही यह सामाजिक अपमान बर्दाश्त करूंगा.

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