नपुंसक, लहूपुरुष, पागल, नौनसैंस, दस नंबरी और बुढि़या गुडि़या. गलियों की शक्ल में की गईं ये तमाम बदजबानियां चोरउचक्कों की नहीं बल्कि उन सियासी महारथियों की हैं जो खुद को जनता का प्रतिनिधि कहते नहीं थकते. बातबात पर देश के संस्कार और संस्कृति का झंडा उठाने वाले इन नेताओं का क्या यही असली चरित्र है?
नेताओं की बदजबानी की कोई सीमा नहीं है. उन की जबान न मौका देखती है न मामले की नजाकत, तीर की तरह बेधड़क वार कर देती है. अगर भारतीय राजनीति या राजनीतिक नेताओं की बदजबानी का लेखाजोखा तैयार किया जाए तो एक आलेख कम पड़ जाएगा. इस का तो बाकायदा एक पोथा तैयार किया जा सकता है, वह भी कई खंडों में.
हाल ही में उत्तर प्रदेश में सहारनपुर संसदीय सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद ने एक रैली में नरेंद्र मोदी को बोटीबोटी करने की धमकी दी. नेताजी गिरफ्तार हो गए. रैली के दौरान के वीडियो फुटेज में आई इमरान की यह बदजबानी कांग्रेस की ही छीछालेदर कर रही है. जहां पार्टी ने इस टिप्पणी से किनारा कर लिया  वहीं इमरान अपने बयान ‘अगर नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाने की कोशिश करते हैं तो हम उन की बोटीबोटी कर देंगे’ पर माफी मांगने को तैयार नहीं हैं.
इस तर्ज पर राजस्थान के टोंक में भाजपा विधायक हीरालाल रेगर ने तो यहां तक कह दिया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के कपड़े उतार कर इटली भेजा जाना चाहिए. सलमान खुर्शीद ने नरेंद्र मोदी को ‘नपुंसक’ कहा तो एक बार फिर से ‘बदजबानी’ पर चर्चा शुरू हुई. खासकर तब जब कांगे्रस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे अमर्यादित कह कर ऐसे बयानों को बरदाश्त न करने की बात कह दी.
राजनीतिक विवादित बयान
राजनीतिक विवादित बयान की बात करें तो एक से बढ़ कर एक नमूने मिल जाएंगे. बदजबानी के सरताज दिग्विजय सिंह और बेनी प्रसाद वर्मा रहे हैं और सब से ज्यादा हमले के शिकार हुए हैं नरेंद्र मोदी. मोदी को मणिशंकर अय्यर पैरोडी में लहू पुरुष कह चुके हैं. वहीं रेणुका चौधरी ने ताना मारते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपनी जनानी को नहीं पहचानता, वह लोगों के दर्द को क्या समझेगा, महिलाओं की क्या इज्जत करेगा. दिग्विजय सिंह ने तो अरविंद केजरीवाल की तुलना राखी सावंत से कर दी.
हाल ही में राष्ट्रीय चैनल पर नवीन जिंदल की बदजबानी से उन के अभिजात होने का मुलम्मा उतर चुका है.
वैसे सब से ज्यादा अमर्यादित शब्द ‘नपुंसक’ रहा है. समयसमय पर बहुत सारे नेता अपने विरोधियों को ‘नपुंसक’ ठहरा चुके हैं. उद्धव ठाकरे ने 2009 में भाजपाशिवसेना की एक रैली में मनमोहन सिंह को ‘नपुंसक प्रधानमंत्री’ कहा. इस बार यह शब्द रक्षा मंत्री ए के एंटोनी के लिए कहा गया.
नरेंद्र मोदी ने 2009 के चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक में कांगे्रस को 125 साल की बुढि़या कहा तो उस समय भी नेताओं के बोलवचन की आलोचना शुरू हो गई. तब प्रियंका वाड्रा ने पत्रकारों से पूछ ही लिया कि क्या मैं बुढि़या लगती हूं. इस पर मोदी ने फिर जबान खोली और कहा कि कांगे्रस को बुढि़या सुनना अच्छा नहीं लगता तो कांगे्रस को गुडि़या की पार्टी कहूंगा. मोदी के इस बयान ने बुढि़या और गुडि़या की बहस को हवा दे दी.
कांग्रेस की रेणुका चौधरी ने अमर्यादित बयानों की झड़ी लगा कर हद ही कर दी. हरियाणा में बलात्कार की एक घटना पर रामदेव के बयान से भड़कीं रेणुका चौधरी ने रामदेव को ‘पागल’, ‘नौनसैंस’ तक कह डाला.
उत्तर प्रदेश भी कम बदनाम नहीं रहा है बदजबानी में. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विधायकमंत्री की जबान पर लगाम नहीं है. अब जब चुनाव का समय है तो नेताओं की जबानी जंग पूरे शबाब पर है जिस के मकसद 2 हुआ करते हैं. एक, अगले को नीचा दिखाना और दूसरा, अपने राजनीतिक कद को बरकरार रखने की जद्दोजहद में विपक्ष पर वार करना.
नरेंद्र मोदी ने अगर सोनिया गांधी को ‘दस नंबरी गांधी’ कहा तो सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कह डाला. चुनावी हवा बनाने के चक्कर में बिहार के वैशाली में भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार की हत्या नरेंद्र मोदी के हाथों होगी.
फौरवर्ड ब्लौक नेता देवव्रत विश्वास ने एक बार तृणमूल की राजनीति को वेश्यावृत्ति करार दिया. बयान कुछ इस प्रकार था, पार्टी और कब तक राजनीतिक वेश्यावृत्ति करेगी, भाजपा के साथ सो चुकी है, आरएसएस के साथ रह चुकी है. इस के बाद कांगे्रस के साथ भी हनीमून मना चुकी है. इस तरह महिला आरक्षण का मुद्दा जब पहली बार संसद में उठा तब जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने अपनी भड़ास निकालते हुए जहर उगला, बोले, ‘इस विधेयक का मकसद क्या संसद में ‘परकटी महिलाओं’ को लाना है? वहीं, मुंबई आतंकी हमले के बाद नारेबाजी कर रही महिलाओं के बारे में भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि लिपस्टिकपाउडर लगा कर ये महिलाएं भला क्या विरोध करेंगी.
बलात्कार जैसे मुद्दे पर
दिल्ली के निर्भया मामले के समय तो पूरे देश में विवादित बयानों की झड़ी लग गई. नेताओं से ले कर तथाकथित संतमहात्माओं ने बयान जारी किए. कुछ बानगी दोहरा ली जाए. सब से पहले आसाराम ने कहा कि अकेली महिला रात को घर से बाहर निकले तो भाई को साथ ले कर निकले. यही नहीं, निर्भया के लिए आसाराम के सुझाव की भी चर्चा रही. बकौल आसाराम, आरोपी को भाई कह कर बुलाना चाहिए था पीडि़ता को. साथ में यह भी कि अगर हिम्मत नहीं थी तो आत्मसमर्पण क्यों नहीं कर दिया.
मजे की बात यह है कि महिलाओं के खिलाफ महिलाओं के बयान कुछ कम चौंकाने वाले नहीं हैं. दिल्ली गैंगरेप के बाद राष्ट्रवादी महिला कांगे्रस की आशा मिर्जे ने बलात्कार के लिए महिलाओं को ही जिम्मेदार ठहरा दिया. पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या पर शीला दीक्षित ने कहा कि इतना ऐडवैंचरस नहीं होना चाहिए था, थोड़ी एहतियात बरतनी चाहिए थी.
कोलकाता की पार्क स्ट्रीट पर चलती गाड़ी में गैंगरेप की घटना के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मातापिता से मिली आजादी के कारण बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं. उत्तर 24 परगना के बरासात में बलात्कार की घटना के बाद ममता का एक और विवादित बयान आया, जो इस प्रकार था, ‘बलात्कार नहीं हुआ है. हुआ है तो मजूरी दे दूंगी.’ ममता के इस बयान (नहले) पर दहला दागते हुए माकपा के नेता अनीसुररहमान ने भी एक बयान दे डाला, जिस में उन्होंने ममता बनर्जी से पूछ लिया, ‘पीडि़ता की फीस अगर 20 हजार रुपए है तो आप का रेट कितना है?’
मुरली मनोहर जोशी ने निर्भया मामले में बलात्कार की जिम्मेदारी पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव और विदेशी सोच के मत्थे मढ़ दी. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत ने बयान दिया कि हर मुद्दे पर महिलाएं सजधज कर कैंडल मार्च पर निकल पड़ती हैं और रात को वही महिलाएं डिस्को चली जाती हैं. इसी तरह बलात्कार की एक अन्य घटना पर हरियाणा प्रदेश कांगे्रस के प्रवक्ता धर्मवीर गोयल का बयान आया. उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत लड़कियों के साथ बलात्कार नहीं होता, वे अपनी सहमति से शारीरिक संबंध बनाती हैं. वहीं, मध्य प्रदेश कांगे्रस के नेता सत्यदेव कटारे ने तो यहां तक कह डाला कि जब तक कोई महिला किसी पुरुष को तिरछी नजर से नहीं देखती, तब तक पुरुष उसे नहीं छेड़ता.
बदजबानी की बादशाहत
देश की राजनीति में विवादित बयान की बाकायदा बादशाहत भी है. विवादित बयान के मामले में कुछ नेता सदाबहार हैं.
विवादित बयान के मामले में कांगे्रस में 2 दिग्गज नेता हैं, बेनी प्रसाद वर्मा और दिग्विजय सिंह. उत्तर प्रदेश के बेनी प्रसाद के निशाने पर जाहिर है मुलायम सिंह और अखिलेश होंगे. समयसमय पर इन के श्रीमुख से ‘नेताजी’ और उन के बेटे के लिए विवादित बयान निकले हैं. अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने पर बेनी प्रसाद बोले, ‘बेटा अपने पापा का नाम रोशन करेगा.’ वहीं उन्होंने मुलायम सिंह के लिए कई बयान दिए. मसलन, मुलायम सिंह का जीवन आपराधिक रहा है. वे राज्य के बाहुबलियों की सरपरस्ती करते हैं. वे सठिया गए हैं. वगैरहवगैरह. अफजल गुरू की फांसी की सजा पर उन्होंने कह डाला कि मुसलमान होने के कारण फांसी की सजा हुई, कोई और होता तो आजीवन कारावास की सजा होती. इस बयान विशेष पर कांगे्रस ने उन से कन्नी भी काट ली. इस बयान का खमियाजा हो सकता है इस लोकसभा चुनाव में कांगे्रस को उठाना पड़े. बेनी प्रसाद कांगे्रस के ऐसे नेता हैं जिन्होंने सलमान खुर्शीद के एनजीओ में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोपों पर बयान दे डाला कि 71 लाख रुपए बहुत छोटी रकम है. इतनी छोटी रकम का घोटाला सलमान नहीं कर सकते. केजरीवाल को भी वे ‘हर दिन न भूंकने’ की सलाह दे चुके हैं.
दिग्विजय सिंह भी अपने बयानों की वजह से मीडिया में छाए रहते हैं. मोदी की लोकप्रियता की तुलना वे हिटलर से कर चुके हैं. एक बार तो पूछ ही लिया कि मोदीजी, आप की पत्नी यशोदाबेन कहां हैं?
इसी तरह उमा भारती पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने यहां तक कह डाला कि उमा भारती साध्वी का महज चोला पहनती हैं. अंदर से वे कुछ और हैं. अपने एक बयान में रामदेव को वे ठग बता चुके हैं. भाजपा को नचनियों की पार्टी कह डाला. उन के बयान जहां विवाद पैदा करते हैं वहीं एक हद तक लोगबाग का मनोरंजन भी करते हैं. शायद इसीलिए उन्होंने अपने बारे में भी एक बयान दे डाला था, ‘सच कहता हूं, इसीलिए पागल कहलाता हूं.’
बेनी प्रसाद वर्मा, दिग्विजय सिंह के बाद कैलाश विजयवर्गीय का नाम लिया जा सकता है. दिल्ली के निर्भया मामले के बाद कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि महिलाएं अपनी सीमा लांघ देती हैं तो सीताहरण हो जाता है. उन का एक और चर्चित बयान है, ‘जागृति’ फिल्म में कवि प्रदीप के गीत ‘दे दी हमें आजादी बिना...’ पर.
कैलाश कहते हैं कि इस गीत के लिखने वाले को कस कर तमाचा मारने को मन होता है. उन्हें नेहरूगांधी के अलावा और किसी का बलिदान नजर नहीं आता.
सपा नेता नरेश अग्रवाल भी कुछ कम नहीं. इन की भी बानगी देखें. तहलका के तरुण तेजपाल मामले में उन्होंने कहा कि इस मामले के बाद लड़कियों को बतौर प्राइवेट सैक्रेटरी या असिस्टेंट रखने में लोग घबराने लगे हैं. मोदी के चाय बेचने के मुद्दे पर कहा, ‘चाय बेचने वाले मोदी का नजरिया राष्ट्रीय नहीं हो सकता.’
कांग्रेस के सलमान खुर्शीद ने फर्रूखाबाद में अरविंद केजरीवाल को धमकी देते हुए कहा कि कलम से बहुत काम कर चुका हूं, अरविंद केजरीवाल फर्रूखाबाद आएं और लौट कर दिखाएं. उधर मुरादाबाद से बसपा उम्मीदवार हाजी याकूब मोदी को बर्बर कहते हैं.
मजेदार बात यह भी है कि राहुल गांधी की भी जबान कभीकभार फिसल ही जाती है.

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