8 नवंबर, 2016 को केंद्र सरकार ने 5 सौ और एक हजार के नोटों को बंद कर उन्हें नए नोटों से बदलने का फैसला कर पूरे देश को हैरान कर दिया. इस फैसले से कोई सहमत हो या नहीं, पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस नोटबंदी से करोड़ों लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर खासा असर पड़ा. सब्जी बेचने वाली 35 साला सरोज पंवार उस समय घर में थीं, जब उन्होंने नोटबंदी की खबर सुनी. वे बताती हैं कि उन्हें पहला विचार यही आया कि उन के ग्राहक अब कैसे पैसा देंगे? वे आगे कहती हैं, ‘‘मैं पहले रोजाना 5-6 सौ रुपए कमाती थी, पर अब मेरा 4-5 सौ रुपए का नुकसान हो रहा है. पहले ग्राहकों ने जोर डाला कि मैं उन के 5 सौ के पुराने नोट ले लूं, पर मैं उन का क्या करती? अब वे 2 हजार का नया नोट दिखा रहे हैं, जो बड़ा सिरदर्द हो गया है.

‘‘2 हजार का नया नोट गरीब की सब से बड़ी परेशानी बन गया है. अगर 5 सौ रुपए का नोट भी हो, तो भले ही सौ रुपए की सब्जी खरीदो, हम बाकी

4 सौ रुपए लौटा सकते हैं, पर 2 हजार के नोट के खुले करना बहुत ही मुश्किल हो रहा है.’’

सरोज पंवार का बैंक अकाउंट नहीं है, न ही उन के पास डेबिट या क्रेडिट कार्ड है. उन के पति का अकाउंट है. पर जब यह खबर आई, तब वे 10 दिनों के लिए गांव गए हुए थे.

30 साला अजय राणे 2 साल से ठाणे में औटोरिकशा चला रहे हैं. उन्होंने नोटबंदी की खबर औटोरिकशा में बैठे हुए एक आदमी से ही सुनी थी, पर उन के पास काम छोड़ कर बैंक जा कर लंबी लाइन में खड़े होने का समय ही नहीं था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...