उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर सभी दलों ने अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर चुके है.ऊपरी तौर पर सभी दल आत्मविश्वास से भरे दिख रहे है.सभी ऐसा दिखा रहे है जैसे उनकी ही सरकार बनने जा रही है.जैसेजैसे चुनाव आगे बढेगा हालात और हकीकत सामने आते जायेगे.सही मायनों में असल गणित चुनाव नतीजों के बाद ही सामने आयेगा.प्रदेश के राजनीतिक हालात मिलेजुले जनादेश की तरफ इशारा कर रहे है.जिसमें 3 प्रमुख दल समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी सबसे बडे खिलाडी के रूप में उभरेगे.कांग्रेस सहित कई छोटे दल भी इस हैसियत में होगे कि सरकार बनाने में उनकी भूमिका उपयोगी होगी.बहुमत का गणित 2 दलो के चुनाव बाद गठबंधन से ही हल होगा.ऐसे में आकलन इस बात का हो रहा है कि चुनाव बाद बनने वाले गठबंधन किनकिन दलां के बीच होगा.

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के बीच गठबंधन होने की संभावना दूरदूर तक दिखाई नहीं पड रही है.बसपा-भाजपा का गंठबंधन कई बार पहले बन चुका है.दोनो दलो ने मिलकर पहले सरकार बनाई भी है.हाल के कुछ सालों में बसपा-भाजपा के बीच की दूरियां बढी है.ऐसे में इस बार बसपा-भाजपा गठबंधन की उम्मीद कम दिखाई दे रही है.उत्तराखंड में जिस तरह से बसपा ने भाजपा के विरोध में वोट दिया उसका एक मकसद यह संदेश देना भी था कि उत्तर प्रदेश में बसपा-भाजपा के बीच गठबंधन नहीं होगा. उत्तराखंड का एक संदेश यह भी था कि जरूरत पडने पर बसपा कांग्रेस के प्रति नरम रूख रख रही है.अगर दोनो दल के गठजोड से सरकार बनने के हालात बने तो चुनाव बाद दोनो तालमेल कर सकते है.चुनाव पहले तो इन दलों का आपस में कोई गठजोड नहीं होगा.

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