बिहार में ताड़ी पर सियासत का नशा बढ़ता ही जा रहा है. लोजपा सुप्रीमो राम विलास पासवान और सूबे के मुख्यमंत्री रहे जीतनराम मांझी ताड़ी उतारने और इसका धंधा करने वालों के पक्ष में खड़े हो गए हैं और ताड़ी पीने के फायदे गिना रहे हैं. उनका दावा है कि ताड़ी शराब नहीं बल्कि जूस है. आंखों की रोशनी कम होने पर डाक्टर ताड़ी पीने की सलाह देते हैं. गौरतलब है कि पिछले 5 अप्रैल से बिहार में देसी और विदेशी शराब के साथ ताड़ी पर भी पूरी तरह से पाबंदी है. राज्य में प्रति व्यक्ति प्रति सप्ताह ताड़ी की खपत 266 मिलीलीटर है.

पिछले 25 अप्रैल को पासवान और मांझी पासी समाज की ओर से आयोजित धरना में गरजे थे कि अगर 2 महीने के भीतर ताड़ी से रोक नहीं हटाई गई, तो सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने 20 जून को हर जिले और प्रखंड हेडक्वार्टर पर धरना देने और जुलाई में पटना के गांधी मैदान में बड़ी रैली करने का ऐलान कर दिया है.

पासवान कहते है कि साल 1991 में उन्होने ही तब के मुख्यमंत्री रहे लालू यादव से बात कर ताड़ी से टैक्स और लाइसेंस फीस हटवाई थी. पासवान के साथ मांझी भी पासी समाज और ताड़ी की तरफदारी में लग गए हैं और उन्होंने बकायदा राज्यपाल से मिल कर ताड़ी पर से रोक हटाने की मांग की है. मांझी बताते हैं कि ताड़ी पर रोक लगाने से हजारो लोगों को रोजगार खत्म हो गया है और पासी समाज के लोगों के सामने भूखमरी की नौबत आ गई है. वह कहते हैं कि ताड़ी प्राकृतिक चीज है और इसके कारोबार से गरीब और अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग जुड़े हुए है. ताड़ी पर पाबंदी लगाने से गरीबों और दलितों को भूखमरी का सामना कराना पड़ रहा है.

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