योग के फायदे गिनाने वालों की कमी नहीं. लेकिन नुकसान यह है कि जब इसे ज्यादा करते हैं तो याददाश्त कमजोर पड़ने लगती है और योगमाया में डूबा योगी बाहरी दुनिया से कट जाता है. ऐसा ही बीते दिनों योगगुरु रामदेव के साथ हुआ, जब वे जयपुर की एक पत्रकार वार्त्ता में यह कह बैठे कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आत्मा को शांति मिले. आत्मा की शांति की कामना देहत्याग के बाद ही की जाती है. वजह, जब तक वह शरीर में रहती है तब तक अशांत ही मानी जाती है. अटलजी लंबे वक्त से अस्वस्थ हैं, इसलिए आटा, नूडल्स, कौस्मैटिक व किराने के कारोबार में लगे रामदेव भूल गए कि अभी वक्त मुफीद नहीं. लेकिन जबान फिसल गई तो उन्होंने हड़बड़ी में बात संभालने की नाकाम कोशिश की. जाहिर यह हुआ कि योग से एकाग्रता की बात हवाहवाई है वरना रामदेव एक जीवित हस्ती को दिवंगत नहीं बताते.

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