शराब पर बैन लगने के बाद बिहार पूरी तरह से ‘ड्राई स्टेट’ बन गया है. इस के बाद जहां शराबियों की हालत डगमग है, वहीं राज्य के बौर्डर पार के इलाकों में शराब के नए बाजार सजने लगे हैं. बिहार से सटे नेपाल देश के बौर्डर वाले इलाकों में तो शराब का धंधा कई गुना बढ़ गया है, वहीं बिहार से सटे झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल वगैरह राज्यों के बौर्डरों पर भी शराब का धंधा दिन दूना रात चौगुना फलनेफूलने लगा है. लेकिन एक अच्छी बात यह भी है कि शराब पीने वाले मजबूरी में अब अपनी पीने की बुरी लत को छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति केंद्रों में पहुंचने लगे हैं. राज्य के सभी 38 जिलों में 11 अप्रैल, 2016 तक तकरीबन डेढ़ हजार लोग ऐसे केंद्रों पर पहुंच चुके हैं.

राज्य में किसी भी तरह की शराब बेचने, खरीदने और पीने पर रोक लग गई है. होटलों, क्लबों, बारों और रैस्टोरैंटों में भी शराब बंद कर दी गई है. 1 अप्रैल, 2016 से देशी शराब पर रोक लगाई गई और 5 अप्रैल, 2016 से विदेशी शराब और ताड़ी पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई. इस से जहां सरकार को सालाना 4 हजार करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा, वहीं शराब की कुल 4,771 दुकानों पर ताले लटक गए हैं.

अप्रैल महीने के पहले हफ्ते तक देशी शराब बनाने वाली 15 हजार भट्ठियां तोड़ दी गईं. इस के साथ ही एक लाख, 65 हजार लिटर देशी और 12 हजार लिटर विदेशी शराब की बोतलों पर रोड रौलर चलवा कर उन्हें तोड़ दिया गया. इस के अलावा 9,140 लिटर स्पिरिट और 1,322 क्विंटल महुआ जब्त किया जा चुका है. बिहार में बेतिया, मोतिहारी, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज जिलों के बौर्डर नेपाल से सटे हुए हैं. मोतिहारी का रक्सौल शहर और नेपाल का वीरगंज शहर सटा हुआ है और दोनों देशों के लोग बेरोेकटोक आतेजाते हैं. शराबबंदी के बाद अब रक्सौल के लोग आसानी से वीरगंज जा कर शराब पीने का मजा ले रहे हैं. वीरगंज के एक शराब कारोबारी ने बताया कि 1 अप्रैल से पहले वह तकरीबन एक हजार लिटर शराब हर महीने बेचता था, पर बिहार में शराब पर रोक लगने के बाद यह आंकड़ा ढाई से 3 हजार लिटर तक पहुंचने का अंदाजा है.

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