योग गुरू बाबा रामदेव के कारोबारी साम्राराज्य स्थापित करने की राह में उनके सत्ता संतुलन का प्रमुख योगदान है. जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थें तब बाबा रामदेव उनको सत्ता में बने रहने का आर्शिवाद देते रहते थें. अखिलेश यादव के सबसे करीबी लोगों में बाबा रामदेव का नाम आता था. अखिलेश सरकार ने बाबा रामदेव की संस्था पंतजलि के लिये उत्तर प्रदेश में उद्योग लगाने की सुविधायें भी दी थी.

अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री पद से हटते ही बाबा रामदेव ने उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को योग सिखाना शुरू कर दिया. अखिलेश सरकार में राजभवन से दूरी बनाये रखने वाले बाबा रामदेव ने राजभवन में पहली बार योग किया. इस योग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल राम नाइक सहित मंत्रिमंडल के लोग भी शामिल हुये.

इस मौके पर बाबा रामदेव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुये कहा कि मुख्यमंत्री योग संतुलन बनाने में दूसरों से बेहतर हैं. असल में जिस समय बाबा रामदेव योग करा रहे थें कुछ नेता सही तरह से उनके आसन को कर नहीं पा रहे थें. ऐसे में बाबा रामदेव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करने का कोई अवसर नहीं छोड़ा.

बाबा रामदेव ने योग के जरिये सत्ता संतुलन साधने का पहली बार प्रयास नहीं किया है. बिहार में जब लालू प्रसाद यादव सत्ता में नहीं थें तब बाबा रामदेव के साथ उनकी दूरी थी पर बिहार की सत्ता में आते ही बाबा रामदेव और लालू प्रसाद यादव के बीच दोस्ती खुलकर दिखाई दी. कांग्रेस सरकार के समय बाबा रामदेव 500 और 1000 रूपये की नोट को कालेधन का साधन मानते थें. जब मोदी सरकार ने 2000 और 500 की नोट जारी की तो बाबा ने बड़े नोट को कालेधन का जरीया नहीं माना.

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